आंगनबाड़ी वर्करों ने शिक्षा मंत्री की कोठी समक्ष दिया धरना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 12:05 PM

anganwadi workers protested against the minister of education

ऑल पंजाब आंगनबाड़ी मुलाजिम यूनियन द्वारा आज सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्री-नर्सरी कक्षाएं शुरू करने के रोषस्वरूप आज दीनानगर में प्रदेश प्रधान हरगोबिन्द कौर की अध्यक्षता में दशहरा ग्राऊंड में राज्य स्तरीय रैली आयोजित करने के उपरान्त नगर में रोष...

दीनानगर(कपूर): ऑल पंजाब आंगनबाड़ी मुलाजिम यूनियन द्वारा आज सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्री-नर्सरी कक्षाएं शुरू करने के रोषस्वरूप आज दीनानगर में प्रदेश प्रधान हरगोबिन्द कौर की अध्यक्षता में दशहरा ग्राऊंड में राज्य स्तरीय रैली आयोजित करने के उपरान्त नगर में रोष मार्च निकाला गया तथा शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी के निवास के निकट पहुंच कर रोष-धरना भी दिया गया। पंजाब के सभी जिलों से बड़ी संख्या में काली चुनरियां लेकर पहुंचीं आंगनबाड़ी वर्करों का शिक्षा मंत्री की कोठी घेरने का कार्यक्रम था परन्तु पुलिस प्रशासन ने पहले ही भारी पुलिस फोर्स का प्रबंध कर रखा था जिसके कारण वर्कर कोठी तक नहीं पहुंच सकीं। 

पुलिस ने गली को पूरी तरह से बंद कर रखा था, जिसके कारण वर्कर मंत्री की कोठी के निकट गली के बाहर बहरामपुर सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं तथा यातायात पूरी तरह ठप्प करके पंजाब सरकार के विरुद्ध भारी प्रदर्शन किया। वर्करों के विशाल समूह को सम्बोधित करते हुए आंगनबाड़ी यूनियन नेताओं ने कहा कि पंजाब में 54,000 महिला आई.सी.डी.एस. स्कीम अधीन वर्कर व हैल्पर के तौर पर पिछले 42 वर्षों से बहुत ही कम मानभत्ते पर कार्य कर रही हैं। इस स्कीम तहत वे 6 तरह की सेवाएं जिसमें 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को प्री-स्कूल शिक्षा देना भी शामिल है, उन्हें नौकरी देने के समय वर्करों व हैल्परों को जॉब ट्रेनिंग करवाई जाती है। इस जॉब में आने की शुरूआती शर्त 10वीं पास होना अनिवार्य है तथा मैरिट के आधार पर ही नौकरी दी जाती है। 

सरकार ने अब 3 वर्ष की आयु से ऊपर वाले बच्चों हेतु स्कूलों में नर्सरी क्लासें बनाकर उन्हें दाखिल करने का फैसला लिया है। यदि 3 वर्ष से ऊपर वाले बच्चे चले जाते हैं तो उनका सैंटरों में जाने का मकसद समाप्त हो जाएगा तथा धीरे-धीरे उन्हें सेवा से बाहर कर दिया जाएगा, इसलिए उनकी मांग है कि 3 से 5 साल तक के बच्चों को प्री-नर्सरी के रूप में सैंटरों में ही रहने दिया जाए, जबकि 5 से 6 साल तक के बच्चों को नर्सरी क्लासों में स्कूलों में दाखिल किया जाए।
  

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