Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Feb, 2018 03:40 PM
शिक्षा विभाग का हमेशा ही विवादों के साथ नाता रहा है। विभिन्न प्रकार के प्रयोगों ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को इतना नीचे कर दिया है कि कोई भी अभिभावक चाहे वह गरीब है या अमीर अपने बच्चे को सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाने से हिचकिचा रहा है।
सुल्तानपुर लोधी (धीर): शिक्षा विभाग का हमेशा ही विवादों के साथ नाता रहा है। विभिन्न प्रकार के प्रयोगों ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को इतना नीचे कर दिया है कि कोई भी अभिभावक चाहे वह गरीब है या अमीर अपने बच्चे को सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाने से हिचकिचा रहा है। वार्षिक परीक्षा को नकल रहित बनाने के लिए जो डी.जी.एस.ई. कृष्ण कुमार द्वारा इस बार प्रयास किए गए हैं क्या वे सार्थक साबित हो जाएंगे? क्या स्कूलों में नकल रहित परीक्षा होगी? क्या सरकारी स्कूलों के परिणाम अच्छे आने के आसार हैं। इन सभी सवालों के जवाब आज प्रत्येक शिक्षा चिंतक सोच रहा है।
सैंटरों की अदला-बदली ने मचाई भगदड़
परीक्षा को नकल रहित बनाने के लिए इस बार शिक्षा विभाग ने जो निजी स्कूलों व सरकारी स्कूलों के सैंटरों की अदला-बदली जहां छात्राओं, दिव्यांग विद्यार्थियोंव उनके अभिभावकों के लिए परेशानियों का सबब बन सकती है वहीं निजी स्कूलों के संचालकों को भी विद्यार्थियोंकी परीक्षा दिलाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटीफिकेशन की उड़ रही धज्जियां
वार्षिक परीक्षा में शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटीफिकेशन के अनुसार परीक्षा केंद्र स्कूलों के निकट 3 कि.मी. के अंदर ही बनाने के लिए हिदायतें जारी की गई हैं लेकिन इसके बावजूद परीक्षा सैंटर 5 से 10 कि.मी. जा रहे हैं। वहीं विद्यार्थियों, दिव्यांग विद्यार्थियोंव अभिभावकों को भी परेशानी में डाल दिया है। इस कारण शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटीफिकेशन की धज्जियां उड़ रही हैं।
70 से 100 कि.मी. तक लगा दीं अध्यापकों की ड्यूटियां
सैंटर सुपरिंटैंडैंट की दूरदराज पर लगाई ड्यूटियों ने अध्यापकों को बेचैन कर दिया है। परीक्षा केंद्र में सुपरिंटैंडैंट व डिप्टी सुपरिंटैंडैंट की ड्यूटी के लिए अब कई अध्यापकों को 70 से 100 कि.मी. की दूरी तय करके जाना व वापस आना पड़ेगा। इसलिए उसको कोई टी.ए., डी.ए. भी नहीं मिलेगा। विशेषकर महिला अध्यापकों को बहुत परेशानी आएगी।
प्राप्त जानकारी अनुसार कई अध्यापकों की सैंटर सुपरिंटैंडैंट के लिए ऐसे परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी लगा दी है जहां वे सिर्फ अपनी निजी वाहन के साथ ही जा सकेंगे। वेतन न मिलने कारण आर्थिक स्थिति का दंश झेल रहे अध्यापकों के लिए यह नई मुसीबत होगी।