निगम की घटिया कारगुजारी को लेकर कांग्रेसी पार्षदों ने मेयर के खिलाफ की नारेबाजी

Edited By swetha,Updated: 02 Aug, 2018 04:08 PM

protest against mayor

फगवाड़ा में बरसात के मौसम में हो रहे बार-बार गंदे पानी के जलभराव, खस्ताहाल स्ट्रीट लाइटों, स्वच्छ पेयजल का अभाव, सीवरेज के गंदे पानी की निकासी व लोगों को मूलभूत सुविधाओं को प्रदान करने में नगर निगम फगवाड़ा में फैली दुर्दशा के मुद्दे को आज कांग्रेस...

फगवाड़ा(जलोटा): फगवाड़ा में बरसात के मौसम में हो रहे बार-बार गंदे पानी के जलभराव, खस्ताहाल स्ट्रीट लाइटों, स्वच्छ पेयजल का अभाव, सीवरेज के गंदे पानी की निकासी व लोगों को मूलभूत सुविधाओं को प्रदान करने में नगर निगम फगवाड़ा में फैली दुर्दशा के मुद्दे को आज कांग्रेस पार्टी फगवाड़ा के 10 पार्षदों व सैंकड़ों कांग्रेसी नेताओं ने शहर की जनता के संग होकर इसके आरोपी नगर निगम फगवाड़ा के मेयर अरुण खोसला को करार दे मेयर कार्यालय के बाहर मेयर खोसला के खिलाफ रोष प्रदर्शन करते हुए सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक मेयर के विरोध में नारे लगाए व रोष प्रदर्शन किया। सभी पार्षदों ने सवाल करते हुए पूछा है कि आखिर फगवाड़ा में हाल ही में अंधेरे के कारण सड़क हादसे में मारी गई निर्दोष विवाहिता की मौत का कौन जिम्मेदार है? उन्होंने साथ ही कहा कि फगवाड़ा की जनता जानती है कि मृतका की मौत का कौन जिम्मेदार है और हद तो यह हो गई है कि मृतका की मौत भी मेयर और उसकी टीम व स्थानीय सरकारी तंत्र को जगा नहीं पाई है? 

इसके पश्चात रोष धरने में शामिल हुए निगम के 10 पार्षदों सर्वश्री संजीव बुग्गा (प्रधान ब्लाक कांग्रेस फगवाड़ा), रामपाल उप्पल, जतिन्द्र वरमानी, पदमदेव सुधीर निक्का, मुनीष प्रभाकर, सत्या देवी, रमा रानी, परविन्द्र कौर, दर्शन लाल धर्मसोत, संगीता गुप्ता ने फगवाड़ा वासियों व कांग्रेसी नेताओं की रही भारी मौजूदगी में एक के बाद एक मेयर अरुण खोसला की घटिया कार्यशैली की पोल खोलते हुए कहा कि वे यह रोष धरना केवल इसलिए लगाने को मजबूर हुए हैं क्योंकि फगवाड़ा की जनता निगम की सत्ता पर काबिज मेयर अरुण खोसला की भ्रष्ट व दिशाहीन नीतियों के कारण बुरी तरह से हैरान-परेशान हो रही है। उक्त रोष धरना लगाकर वह मेयर अरुण खोसला को आज बताने आए हैं कि यह उस बड़े जन-आंदोलन की शुरूआत हुई है।

इसके तहत अब मेयर से फगवाड़ा में निगम स्तर पर हो रही हर गड़बड़ी का हिसाब जनता की अदालत में सबके बीच खुले में मांगा जाएगा। रोष प्रदर्शन में शामिल हुए फगवाड़ा वासियों व अन्य गण्यमान्यों ने कहा कि यदि जनता को राजनेताओं को इज्जत के साथ कुर्सी पर बैठाना आता है तो निकम्मे राजनेताओं को बेइज्जत कर सत्ता से बाहर कर कुर्सी से उतारना भी आता है। वह सब बेहद परेशान हैं क्योंकि फगवाड़ा में बदहाल सरकारी व्यवस्था खासकर निगम की घटिया कार्यशैली के कारण यहां के हर चौक, चौराहे, गली, मोहल्ले सहित मेन नैशनल हाइवे नंबर 1 पर मौत मंडरा रही है। 
इसकी ताजा मिसाल महज 2 दिन पहले नैशनल हाइवे नंबर 1 पर छाए अंंधेरे के कारण मरी एक मासूम विवाहिता है।


मेयर राजनीतिक तौर पर पूरी तरह से बैकफुट पर आते दिखाई दिए
फगवाड़ा में निगम की घटिया कार्यशैली को लेकर लोगों में फैले आक्रोश व इसी मध्य कांग्रेसी नेताओं द्वारा जनता के साथ मिलकर आज निगम कार्यालय के बाहर निगम के मेयर अरुण खोसला की कार्यशैली को मुद्दा बना मेयर के खिलाफ लगाए गए रोष धरने के महज चंद मिनटों बाद मेयर राजनीतिक तौर पर पूरी तरह से बैकफुट पर आते दिखाई दिए। इसका प्रमाण महज इस तथ्य से है कि पत्रकारों द्वारा पूछे जाते सवालों पर जो मेयर नो कमैंट्स कहकर बात को टालते रहे हैं, उसी मेयर द्वारा  ष धरने के समाप्त होने के बाद निगम स्तर पर कांग्रेसी पार्षदों के वार्डों में हुए कथित विकास कार्यों का ब्यौरा जारी कर दिया लेकिन इसके साथ मेयर खोसला द्वारा यह भी स्वीकार कर लिया गया कि मौजूदा हालात में निगम के पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि निगम अपने स्तर पर कोई कार्य करवा सके? अब ऐसे में जब मेयर खुद कह रहे हैं कि निगम के पास विकास कार्य करवाने के लिए कोई पैसा ही नहीं बचा है तो वह जनता को बताएं कि किस आधार पर लोगों की जनसमस्याओं का समाधान करवाएंगे? 

यह तर्क राजसी माहिर दे रहे हैं और सवाल कर रहे हैं कि जो ब्यौरा मेयर द्वारा आज जारी किया गया है उसका शहर में बनी हुई जनसमस्याओं जैसे की सरकारी लाइटों की दुर्दशा, खस्ताहाल में चल रही सड़कों, सीवरेज की लाइनों की साफ-सफाई न होने से शहर में बरसाती मौसम में हो रहे भारी जलभराव, प्रदूषित पेयजल, शहर में फैली गंदगी आदि से क्या वास्ता है। ये सारे मामले अच्छी कार्यशैली और गुड गवर्नैंस मांगते हैं जो फगवाड़ा में नहीं है। इसके कारण एक महिला की बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों के कारण अंधेरे में घटे सड़क हादसे में मौत हो गई है।

राजसी माहिर यह भी कह रहे हैं कि सरकारी लाइटों की दुर्दशा के मुद्दे आदि को तो प्रमुखता से मेयर के साथी भाजपा पार्षद ही उठाते रहे हैं और शहर में फैली दुर्दशा की हकीकत तो खुद भाजपा के कई पार्षद मीडिया में आकर स्वीकार कर यहां तक कहते रहे हैं कि भाजपा मेयर के निगम में होने के बाद भी उनकी बतौर भाजपा पार्षद न तो मेयर सुनवाई कर रहे हैं और न ही कोई सरकारी अधिकारी सुन रहा है। अब राजसी माहिर क्या कह रहे हैं अथवा कांग्रेसी पार्षद क्या आरोप लगा रहे हैं, ये तर्क का विषय हो सकते हैं। लेकिन क्या मेयर यह बताएंगे कि उनकी अपनी ही पार्टी के भाजपा पार्षद जो पिछले लंबे समय से कभी निगम हाऊस की बैठकों में तो कभी सोशल मीडिया पर जब शहर में फैली दुर्दशा की दुहाई दे रहे हों तो फिर क्या बाकी बचता है। आखिर इस सच्चाई को कैसे और किस तर्क से दबाया जा सकता है। 

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