Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 10:13 AM
डी.ए.सी. के अंदर बने हुए बूथों में अपना कारोबार करने वाले कुछ बूथ होल्डर, जिसमें वसीका नवीस, टाइपिस्ट, फोटोस्टेट मशीन, कम्प्यूटर टाइपिंग, एस.टी.डी.-पी.सी.ओ., अष्टामफरोश आदि शामिल हैं, की तरफ जिला प्रशासन का लाखों रुपए बकाया हैं।
जालंधर (अमित): डी.ए.सी. के अंदर बने हुए बूथों में अपना कारोबार करने वाले कुछ बूथ होल्डर, जिसमें वसीका नवीस, टाइपिस्ट, फोटोस्टेट मशीन, कम्प्यूटर टाइपिंग, एस.टी.डी.-पी.सी.ओ., अष्टामफरोश आदि शामिल हैं, की तरफ जिला प्रशासन का लाखों रुपए बकाया हैं। इस मामले में जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। डी.सी. वरिंदर कुमार शर्मा ने तहसीलदार-1 को पत्र लिखकर आदेश जारी किया है कि वह उन सभी बूथ होल्डरों, जिन्होंने दिसम्बर, 2017 तक किराया जमा नहीं करवाया है, के बूथों के बाहर ढोल बजा कर व पीपा खड़का कर मुश्तरी मुनादी करवाई जाए ताकि वे अपना-अपना बकाया किराया तुरंत जमा करवाएं। इस पत्र के साथ 97 बूथ होल्डरों की एक लिस्ट भेजी गई है जिसमें उनकी तरफ बकाया राशि का जिक्र किया गया है।
बूथों के बाहर चिपकाए नोटिस, तहसील में मचा हड़कंप
डी.सी. के आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिला नाजिर ने शुक्रवार को सहायक कमिश्नर डा. बी.एस. ढिल्लों के हस्ताक्षरयुक्त एक नोटिस सभी 97 बूथहोल्डरों के बूथों के बाहर चिपकवाए। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि उक्त बूथहोल्डर की तरफ किराया बकाया है और दिसम्बर, 2017 तक का किराया वह तुरंत जमा करवाए। दो हफ्ते की समय-सीमा निश्चित कर बूथहोल्डरों को सूचित किया गया कि किराया न जमा करवाने पर उसके बूथ का कब्जा प्रशासन द्वारा ले लिया जाएगा। सुबह तहसील में कामकाज शुरू होते ही प्रशासन द्वारा नोटिस चिपकाए जाने और बूथों का कब्जा लिए जाने की चेतावनी से पूरे तहसील काम्पलैक्स में कारोबार करने वालों के बीच हड़कंप सा मच गया। हर तरफ इसी बात को लेकर चर्चा थी कि प्रशासन ने आज तक इतना कठोर कदम नहीं उठाया, फिर अचानक इस बार क्यों इतनी सख्ती बरती जा रही है।
बड़ी गिनती में बूथहोल्डर पूरे साल का किराया एकमुश्त देने को तैयार
तहसील में कुछ बूथ होल्डर जानबूझ कर किराया देरी से जमा करवाते हैं, मगर अधिकतर बूथ वाले ऐसे हैं, जो अपना किराया समय पर देना चाहते हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि वह पूरे साल का किराया उनसे एकमुश्त ही ले ले ताकि वह बार-बार किराया जमा करवाने के झंझट से मुक्ति पा सकें।
किसकी तरफ हैं 10,000 के अधिक बकाया?
-बूथ नंबर 19 अमित कुमार पुत्र सुरिंदर कुमार की तरफ &9,600 रुपए
-बूथ नंबर 58 रोहित कुमार शर्मा की तरफ 11,500 रुपए
-बूथ नंबर 156 दर्शन सेठी पुत्र रघबीर चंद की तरफ 11,000 रुपए
-बूथ नंबर 169 शकुंतला देवी पत्नी सतपाल की तरफ 12,800 रुपए
-बूथ नंबर 216 सुरेश मेहता की तरफ 11,200 रुपए
-बूथ नंबर 222 संदीप थापर की तरफ 12,000 रुपए
-बूथ नंबर 2&2 प्रह्लाद सिंह चड्ढा की तरफ 15,600 रुपए
-बूथ नंबर 241 सुखविंदर सिंह की तरफ 33,700 रुपए
-बूथ नंबर 292 भुवनेश बंधू पुत्र लेट सतपाल की तरफ 18,000 रुपए
क्यों की जा रही है चैकिंग, क्यों बरती जा रही है सख्ती?
मौजूदा समय में डी.ए.सी. में बने हुए बूथों में से कई बूथ आगे किसी अन्य को सबलैट हो रखे हैं जिन व्यक्तियों को प्रशासन की तरफ से बूथ अलाट किए गए थे वह हजारों रुपए प्रति महीना अवैध किराया वसूल रहे हैं, जोकि कानूनन अपराध है। प्रशासन द्वारा जारी किए किसी भी बूथ को कानूनन न तो आगे किसी अन्य व्यक्ति को सब-लैट किया जा सकता है और न ही किसी बूथ अलाटी के निधन के पश्चात उक्त बूथ को उसके परिजनों या वारिसों को ट्रांसफर किया जा सकता है। किसी बूथ को किराये पर देकर न तो उसकी पगड़ी वसूली जा सकती और न ही इसे बेचा जा सकता है। डी.ए.सी. में बने हुए सारे बूथ सरकारी संपत्ति हैं और इनका इस्तेमाल प्रशासन द्वारा तय की गई शर्तों के अनुसार ही किया जाना अनिवार्य है। तहसील में बहुत से बूथ ऐसे हैं जिन्हें अलाट तो किसी काम के लिए किया गया था, मगर मौजूदा समय में उस बूथ में काम कोई अन्य किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर अगर एक बूथ को कंप्यूटर टाइपिंग के लिए अलाट किया गया था तो वहां पर फोटोस्टेट मशीन लगाकर कारोबार किया जा रहा है। अगर किसी कारणवश बूथ अलाटी ने कोई अन्य काम करना है तो उसे पहले प्रशासन से लिखित इजाजत लेनी अनिवार्य है। इसीलिए चैकिंग का काम किया जा रहा है और प्रशासन द्वारा इतनी सख्ती बरती जा रही है।