Edited By swetha,Updated: 16 Apr, 2020 01:54 PM
देश को संबोधित करते गमछा लपेटे नजर आए प्रधानमंत्री
होशियारपुर(अमरेन्द्र मिश्रा): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीरवार के बाद अब मंगलवार सुबह 10 बजे देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन को आगामी 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की। खास बात यह रही कि इस दौरान प्रधानमंत्री एक बार फिर गमछा (देसी तौलिया) के साथ नजर आए। उन्होंने सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक व ट्विटर पर भी अपनी गमछा वाली डी.पी.लगा ली है। पहले बिहार के लिट्टी चोखा पर टिप्पणी व अब उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए उनके गमछा शब्द के लगतार प्रयोग करने से यह सोशल मीडिया पर छा गया है। बिहार व यू.पी.के बाहर के रहने वाले गमछा के शाब्दिक अर्थ तलाशने के लिए गुगल नैटवर्क पर सर्च करने शुरू कर दिए। गौरतलब है कि गमछा बिहार व उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित एक प्रकार का पतला देसी तौलिया है।
देश को संबोधित करते गमछा लपेटे नजर आए प्रधानमंत्री
कोरोना संक्रमण के संकट के कारण देश में इन दिनों लॉकडाउन है। इसकी मियाद आज पूरी हो रही थी। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने देश को संबांधित करते हुए इसे 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की तथा इसमें सहयोग मांगा। खास बात यह रही कि इस दौरान वे एक बार फिर मुंह व नाक पर गमछा लपेटे नजर आए। प्रधानमंत्री ने फेसबुक व ट्विटर के डी.पी.में अपनी गमछा लगाए तस्वीर भी लगा ली है। इसके पहले शनिवार को भी मुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री चेहरे पर गमछा लपेटे देखे गए थे। वे लोगों से गमछा लपेटने की अपील भी कर चुके हैं।
बिहारियों के मान-सम्मान से जुड़ा है गमछा
उल्लेखनींय है कि गमछा केवल एक वस्त्र नहीं, बिहारियों की वेशभूषा की प्रमुख पहचान और मान-सम्मान से जुड़ा एक वस्त्र है। बिहार व यू.पी.में आज बदलते दौर के बीच भी धोती, लुंगी, पायजामा धारण करने वाले अब भी गमछा लेना नहीं भूलते। गमछा जहां देह पर अंगरखा बनता है वहीं माथे पर मुरेठा के रूप में सजता है। गमछा ना सिर्फ गर्मी के मौसम में सिर व चेहरे को ढंकने में प्रयोग होता है बल्कि सर्दी के मौसम में भी सर्दी से बचाव के अलावे नदियों व तालाब में स्नान करने के बाद शरीर को पोंछने में भी गमछे प्रयोग आमतौर पर आज भी किया जाता है। यही नहीं बाजार से कुछ सामान लाना हो तो गमछे को लोग गठरी के तौर पर भी प्रयोग किया करते हैं।