नगर निगम के आधा दर्जन ट्यूबवैल खराब, पेयजल के लिए जनता में हाहाकार

Edited By swetha,Updated: 06 Feb, 2019 04:20 PM

water supply

पठानकोट नगर के कौंसिल से कार्पोरेशन बनने के बाद भी स्थानीय जनता पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के टोटे से सौ फीसदी उभर नहीं पाई है। पेयजल सुविधा की बात करें तो एक ओर निगम प्रशासन का दावा है कि कई नए ट्यूबवैल लगाकर व आपस में ट्यूबवैलों को इंटरलिंक करने...

पठानकोट  (शारदा): पठानकोट नगर के कौंसिल से कार्पोरेशन बनने के बाद भी स्थानीय जनता पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के टोटे से सौ फीसदी उभर नहीं पाई है। पेयजल सुविधा की बात करें तो एक ओर निगम प्रशासन का दावा है कि कई नए ट्यूबवैल लगाकर व आपस में ट्यूबवैलों को इंटरलिंक करने के बाद हर वार्ड व क्षेत्र की आबादी में पेयजल समस्या का समाधान हो गया है। 

दूसरी ओर दर्जनों मोहल्लों को पेयजलापूर्ति करने वाले करीब आधा दर्जन ट्यूबवैल जिनमें कई नए भी हैं, अक्सर तकनीकी खामियों के चलते अन्यथा मोटर जलने से खराब रहते हैं, जिससे इनकी स्थिति कई दिनों तक न होने के बराबर बन जाती है। ऐसे में जिन क्षेत्रों में इन ट्यूबवैलों से पेयजलापूर्ति होती है, वहां पेयजल उपलब्ध न होने से स्थिति आए दिन अराजकता समान बन जाती है। वहीं स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर रोष है कि जब भीष्ण सॢदयों में ट्यूबवैल खराब व मोटरें आदि जलने से लोग पेयजल किल्लत से जूझ रहे हैं जबकि अभी ग्रीष्म ऋतु शुरू ही नहीं हुई। आगे जब गर्मियां यौवन पर आएंगी तो नगर की आबादी में पेयजल को पाने के लिए अराजकता की स्थिति पैदा होने से कैसे निगम प्रशासन रोक पाएगा?

ये ट्यूबवैल हुए खराब
* के.एफ.सी. स्कूल के निकट मॉडल टाऊन क्षेत्र में स्थित ट्यूबवैल 4 दिन से खराब।
*म्युनिसिपल कॉलोनी का ट्यूबवैल।
*गार्डन कॉलोनी का ट्यूबवैल 3 फरवरी का खराब।
*मामून क्षेत्र व इंदिरा कॉलोनी के  ट्यूबवैल 4 फरवरी से खराब। इसके अलावा क्षेत्र में अन्य ट्यूबवैल भी खराब हैं।

मेयर व निगम प्रशासन की ‘मिस मैनेजमैंट’ पेयजल किल्लत के लिए जिम्मेदार : विभूति, अजय
वहीं पेयजल किल्लत व ट्यूबवैलों में आए दिन आ रही खराबी को लेकर कांग्रेस ने जोरदार हमला निगम मेयर व भाजपानीत नगर निगम पर बोला है। हाऊस में विपक्ष के नेता एवं कांग्रेसी पार्षद विभूति शर्मा के साथ पूर्व पार्षद अजय कुमार ने कहा कि सर्दियों में आए दिन आ रही ट्यूबवैलों में खराबी के लिए निगम के मेयर अनिल वासुदेवा व निगम प्रशासन की मिस मैनेजमैंट जिम्मेदार हैं।

एक ओर जहां एक बार किसी एक ट्यूबवैल की मोटर जलती या एसैंबली खुल जाती है तो एक से डेढ़ लाख रुपए का मैंटेनैंस खर्चा आ जाता है जबकि दूसरी ओर ट्यूबवैलों पर कार्यरत करीब अढ़ाई दर्जन कच्चे मुलाजिम जो पिछले 6 महीने से दिन-रात एक करके ट्यूबवैल चलाकर जनता को पेयजल मुहैया करवा रहे थे, को निगम व मेयर ने महीनों का वेतन नहीं दिया है, जिससे इन कच्चे मुलाजिमों को यहां घर का चूल्हा चलाना मुश्किल हो रहा है।वहीं निगम प्रशासन इन मुलाजिमों को वेतन देने के लिए हाथ खड़े कर रहा है जबकि ये मुलाजिम निगम का ही काम चला रहे थे। इन मुलाजिमों का मासिक वेतन डेढ़ से 2 लाख के करीब बनता है जबकि एक ट्यूबवैल में आई मोटर आदि जलने की खराबी को ही ठीक करने में डेढ़ लाख के करीब खर्च आ जाता है। ऐसे में जब मेयर समुचित ढंग से निगम को चला नहीं पा रहे हैं तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। 

वैकल्पिक तरीके से मुहैया करवा रहे हैं पेयजल : मेयर
दूसरी ओर इस समस्या संबंधी मेयर अनिल वासुदेवा ने सम्पर्क करने पर कहा कि मामला ध्यान में है तथा गंभीर है। इस पर निगम प्रशासन गंभीरता से कार्य कर रहा है। खराब मोटरों की तेजी से रिपेयर की जा रही है। कल 2 व सायं तक 3-4 खराब हुए ट्यूबवैलों को चला दिया जा रहा है। यहां तक पेयजलापूर्ति की बात है तो वैकल्पिक तरीके से दूसरे ट्यूबवैलों से हर प्रभावित क्षेत्र की आबादी को पेयजल मुहैया करवाया जा रहा है। किसी भी मशीन या मोटर में तकनीकी खराब कभी भी आ सकती है। उसे दुरुस्त करने के लिए निगम प्रशासन तत्पर है।

क्या कहना है निगम कर्मचारी का 
वहीं जब इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए निगम के कर्मचारी ब्रह्म से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने प्रतिक्रिया देने से आनाकानी करते हुए व्यस्तता बताकर बाद में फोन करने की बात कहकर फोन काट दिया।

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