Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 09:39 AM
2 साल पहले पठानकोट एयरबेस पर तथा 27 जुलाई 2015 को दीनानगर में पुलिस स्टेशन पर हुए हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। दोनों ही हमलों में हमला करने वाले फिदायीन पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त थे। दोनों ही हमलों में शामिल हमलावर भारत के साथ लगती...
गुरदासपुर (विनोद): 2 साल पहले पठानकोट एयरबेस पर तथा 27 जुलाई 2015 को दीनानगर में पुलिस स्टेशन पर हुए हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। दोनों ही हमलों में हमला करने वाले फिदायीन पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त थे। दोनों ही हमलों में शामिल हमलावर भारत के साथ लगती पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से भारत में प्रवेश करने में सफल हुए। दोनों हमलों की समानता यह रही कि इनमे हमला करने वाले आतंकवादियों ने भारतीय सेना के जवानों की वॢदयां पहन रखी थीं तथा इन्होंने घुसपैठ करने के बाद जल्दी ही हमला कर दिया था।
दीनानगर में उनका निशाना आम नागरिक भी रहे थे जबकि पठानकोट एयरबेस पर हमला पूरे देश के लिए चुनौती था। जहां तक इन दोनों ही हमलों में आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ का संबंध है तो इसके लिए पठानकोट के साथ लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा जिसकी लंबाई लगभग 15-16 किलोमीटर है वहां की भौगोलिक स्थिति भी जिम्मेदार मानी जाती है जो आतंकवादियों को घुसपैठ करने में सहायक बन जाती है। इस सीमावर्ती इलाके में पहाड़ीपुर के आसपास व बमियाल के पास बहते दरियाओं का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में है और कुछ भारत में।
जब भी बरसात होती है तो उज्ज व रावी दरिया में बाढ़ आती है तथा दरिया के बीच लगी या किनारे लगी कंटीली तार क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त दरिया के पानी का बहाव भी ऐसा है कि भारतीय इलाका पाकिस्तान के मुकाबले ढलान पर होने के कारण यदि किसी चीज को पाकिस्तान की तरफ से पानी में छोड़ा जाए तो वह अपने आप ही तैर कर भारतीय इलाके में आ जाती है। दरियाओं के साथ-साथ कुछ बरसाती नाले भी घुसपैठ में सहायक बन जाते हैं परंतु पठानकोट एयरबेस पर तथा दीनानगर पुलिस स्टेशन पर हमला करने वाले आतंकवादी किस रास्ते से भारत में प्रवेश करने में सफल हुए यह अभी तक पहेली बना हुआ है जिसको सुलझाने में भारत सरकार की सभी एजैंसियां विफल साबित हुई हैं।जिला पठानकोट की सीमा पर स्थित गांव पहाड़पुर देखा जाए तो पाकिस्तान के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर राज्य की सीमा के साथ भी लगता है।
इस गांव के 3 तरफ तो पाकिस्तानी सीमा लगती है जबकि एक तरफ यह दरिया बहता है। बाढ़ आने पर यह गांव पूरी तरह से भारत से कट जाता है। यही हालत बमियाल इलाके में बहने वाले उज्ज दरिया की है। बाढ़ के समय यहां स्थिति बहुत खराब होती है तथा दरिया पार के इलाके देश से पूरी तरह से कट जाते हैं और वहां पर निगरानी करना कठिन होता है। दूसरा भारतीय इलाका पाकिस्तान के मुकाबले में ढलान पर होने के कारण पानी का बहाव तथा दबाव भारतीय इलाके की तरफ होने के कारण घुसपैठ करना आतंकवादियों के लिए आसान होता है। कुछ स्थानों पर तो दरिया में कंटीली तार को ऐसे ही फैंक दिया जाता है ताकि रुकावट बनी रहे परंतु आतंकवादियों सहित पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी को सीमा पर चप्पे-चप्पे की खबर होती है जिसका वे लाभ उठाते हैं।