चड्ढा शूगर-कम-डिस्टीलरी मिल में हुई घटना की जांच चढने लगी राजनीति की भेंट

Edited By swetha,Updated: 23 May, 2018 10:24 AM

investigation in chadha sugar mill

जिला गुरदासपुर के कस्बा कीड़ी अफगाना की ए.बी. ग्रेन स्पीरिट लिमिटेड (चड्ढा शूगर मिल-कम-शराब मिल) में 16 मई को  टैंक से सीरे के ओवरफ्लो होकर रजबाहे के रास्ते ब्यास दरिया में चले जाने के कारण 10 लाख से अधिक मछलियां मारी गई थीं।

गुरदासपुर(विनोद): जिला गुरदासपुर के कस्बा कीड़ी अफगाना की ए.बी. ग्रेन स्पीरिट लिमिटेड (चड्ढा शूगर मिल-कम-शराब मिल) में 16 मई को  टैंक से सीरे के ओवरफ्लो होकर रजबाहे के रास्ते ब्यास दरिया में चले जाने के कारण 10 लाख से अधिक मछलियां मारी गई थीं।

इस घटना की गूंज अब पंजाब के कुछ इलाकों सहित राजस्थान में भी सुनाई देने लगी है। इसकी जिलाधीश गुरदासपुर ने मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश देकर बटाला के एस.डी.एम. रोहित गुप्ता को जांच करने के लिए कहा हुआ है।  जिस तरह से इस घटना पर राजनीति शुरू हो गई है तथा कुछ किसान संगठन भी मिल के पक्ष में तथा कुछ विरोध में आवाज बुलंद करने लगे हैं। उससे स्पष्ट होता है यह मामला राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा। जो नुक्सान हुआ है उसकी पूर्ति करना किसी भी तरह से सम्भव नहीं होगा।

इस संबंधी जब एस.डी.एम. बटाला रोहित गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच तेजी से चल रही है।  प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अपने स्तर पर भी जांच कर रहा है। कुछ किसान संगठनों द्वारा मिल के पक्ष में उतरने संबंधी पूछे प्रश्न के जवाब में कहा कि ये संगठन भी जच कमेटी के पास अपना पक्ष रख सकते हैं। कई पहलुओं पर जांच चल रही है तथा सारी सच्चाई जल्दी ही सामने आ जाएगी। अभी वह इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता।

क्या है मामला
16 मई को कीड़ी अफगाना की चड्ढा शूगर मिल में लगभग एक करोड़ कि.ग्रा. की क्षमता वाला सीरे के टैंक में सीरे के अधिक गर्म कर दिए जाने से उबाल आ गया था तथा लगभग 50 हजार कि.ग्रा. गर्म सीरा टैंक से ओवर फ्लो होकर रजबाहे के रास्ते बह कर ब्यास दरिया में चला गया था। ब्यास दरिया के पानी की ऊपरी सतह पर सीरे की परत जम जाने से मछलियों को आक्सीजन न मिलने के कारण लगभग 10 लाख मछलियों सहित कई अन्य जीव-जंतु दम तोड़ गए थे। इस संबंधी शोर मचने के बाद पंजाब प्रदूषण कंट्रोल के अधिकारी मौके पर पहुंचे तथा कार्रवाई करते हुए मिल को सील कर बंद दिया। मिल की प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के पास रखी हुई 25 लाख रुपए की सिक्योरिटी जब्त कर ली गई। मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश भी दिए गए, परन्तु लगभग 8 दिन बीत जाने के बावजूद इस मिल के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

क्या स्थिति है इस समय
घटना की गंभीरता को लेकर जहां पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह भदनौर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर घटना की पूरी जानकारी मांगी है वहीं अकाली दल ने मिल प्रबंधकों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान तथा पंजाब के पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री ने तो मिल प्रबंधकों को बचाने संबंधी मुख्यमंत्री पर आरोप लगा कर मिल प्रबंधकों की गिरफ्तारी की मांग की है, जबकि कांग्रेसी नेता इस मामले में चुप्पी धारण किए बैठे हैं।

देखा जाए तो किसी राज्य का राज्यपाल प्राय: राज्य में हुई किसी घटना के संबंध में मुख्यमंत्री से जवाब तलब नहीं करता है, परन्तु इस मामले में पंजाब के राज्यपाल ने भी सख्त नोटिस लिया है परन्तु लगता है कि यह घटना राजनीति की भेंट चढऩे वाली है, क्योंकि चड्ढा शूगर मिल के मालिकों के पंजाब के मुख्यमंत्री से गहरे संबंध होने का अकाली दल आरोप लगा रहा है तथा एक अंशधारक के बारे में कहा जा रहा है कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री के धार्मिक कार्यों के लिए सलाहकार है।

मिल घटना को लेकर किसान यूनियन व अन्य संगठन दोफाड़ हुए
इस संबंध में किसान संगठन भी दोफाड़ दिखाई दे रहे हैं। इलाके के सबसे मजबूत संगठन पगड़ी संभाल जट्टा तथा लोक इंसाफ पार्टी के नेता इस मिल के समर्थन में आ गए हैं तथा उन्होंने जिला प्रशासन को मांग पत्र देकर मिल को जल्दी चलाने की मांग की है। इन किसान संगठनों के नेता मिल के पक्ष में उतरने की यह दलील दे रहे हैं कि मिल प्रबंधकों ने हमारे दबाव में किसानों का गन्ना बिना जरूरत भी खरीदना जारी रखा तथा अप्रैल माह में अपने तकनीकी सिस्टम को बदल कर क्षमता से अधिक पेराई की जिस कारण मिल में सीरा बहुत अधिक एकत्र हो गया।

उन्होंने जिलाधीश को मांग पत्र देकर मिल को चलाने की मांग करते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से मांग की है कि मिल में हुई घटना को कुदरती आपदा घोषित कर मिल को चालू किया जाए तथा मिल प्रबंधकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई न की जाए।वहीं कुछ किसान संगठनों ने कीड़ी अफगाना शूगर-कम-शराब मिल के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करने के साथ-साथ संबंधित विभागों के अधिकारियों के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई की मांग की है।

यह संगठन आरोप लगा रहे हैं कि समय-समय पर मिल में होने वाली अनियमितताओं के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी जिम्मेदार हैं जो मिल की चैकिंग केवल कागजों में ही करते हैं। इसी तरह बटाला तथा गुरदासपुर के पर्यावरण प्रेमियों ने आरोप लगाया कि यह मिल प्रारंभ से ही प्रदूषण फैलाने के लिए चर्चा रही है। कभी किसानों के साथ विवाद तथा कभी ट्रक चालकों के साथ विवाद के कारण मिल सदा ही चर्चा में रहती है। क्षेत्र में पर्यावरण संतुलन बिगाडने के लिए सीधे रूप में मिल प्रबंधक जिम्मेदार हैं तथा प्रबंधकों के विरुद्ध और सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। 
 

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