Edited By swetha,Updated: 21 Feb, 2019 10:34 AM
गन्ने की अदायगी न होने और शूगर मिलों द्वारा गन्ने का बांड न करने समेत अन्य कई गंभीर समस्याओं का कोई समाधान न होने के रोष स्वरूप आखिरकार आज
गन्ना उत्पादक किसान संघर्ष कमेटी ने डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर के कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना लगा...
गुरदासपुर(हरमनप्रीत विनोद) : गन्ने की अदायगी न होने और शूगर मिलों द्वारा गन्ने का बांड न करने समेत अन्य कई गंभीर समस्याओं का कोई समाधान न होने के रोष स्वरूप आखिरकार आज
गन्ना उत्पादक किसान संघर्ष कमेटी ने डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर के कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना लगा दिया है।
दिन-रात चलने वाले इस धरने के लिए किसानों ने अपने बिस्तर और खाने-पीने का सामान भी इकट्ठा कर लिया है, जिसके तहत आज कई किसान अपने सिर पर सामान उठाकर धरने में पहुंचे। धरने के पहले दिन जसबीर सिंह कत्तोवाल, कामरेड तरलोक सिंह बहरामपुर, अजीत सिंह भर्थ, जगीर सिंह सचाल, बलजीत सिंह बाजवा और कामरेड मोहन सिंह की अध्यक्षता में शुरु किए गए धरने के दौरान संबोधित करते हुए कामरेड सतबीर सिंह सुल्तानी, कामरेड बलबीर सिंह, संतोख सिंह औलख, हरदियाल सिंह, कामरेड सुखदेव सिंह भागोकावां और कामरेड अवतार सिंह ने कहा कि गन्ना उत्पादक किसानों के पिछले बेचे गए गन्ने के बकाए का भुगतान नहीं किया जा रहा।
उन्होंने कहा कि गरीब किसानों द्वारा खून-पसीना एक कर पैदा किए गन्ने को पूरे मूल्य पर खरीदने की बजाए शूगर मिलों के मालिकों/अधिकारियों ने अपने दलालों के नैटवर्क के माध्यम से किसानों की लूटपाट की जा रही है। उन्होंने कहा कि सर्वे में दर्ज हुए 53 लाख किं्वटल गन्ने की केन कमिश्नर पंजाब ने विभिन्न मिलों को पेराई के लिए की औपचारिक अलॉटमैंट के बावजूद अभी तक किसी भी मिल ने इसका बांड नहीं किया।
मांगें पूरी न होने तक जारी रहेगा धरना
नेताओं ने कहा कि मिलों के मालिक/अधिकारी/कर्मचारी अपने दलालों के जरिए पॢचयां बेच कर उनका गन्ने सस्ते भाव पर खरीद कर और अन्य कई प्रकार से किसानों को लूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि कीड़ी अफगाना में शांतिपूर्वक धरना दे रहे किसानों पर मिल प्रबंधकों द्वारा करवाया गया हमला भी ङ्क्षनदनीय है। उन्होंने इस हमले के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग के अलावा 53 लाख किं्वटल लाख गन्ने का बांड भरकर तुरंत पॢचयां देने और पिछली अदायगी देने की मांग की। नेताओं ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगों और समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक यह धरना खत्म नहीं होगा।