Edited By Vatika,Updated: 22 Sep, 2018 11:04 AM
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने धान की पराली जलाने और दीवाली मौके होने वाली आतिशबाजी को मद्देनजर रखते हुए 1 अक्तूबर से 31 जनवरी तक 4 महीने के लिए भट्ठे चलाने पर पाबंदी लगा दी है, जिसके चलते ईंटों के भाव आसमान छू रहे हैं। ईंटों के...
फिरोजपुर (भुल्लर): प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने धान की पराली जलाने और दीवाली मौके होने वाली आतिशबाजी को मद्देनजर रखते हुए 1 अक्तूबर से 31 जनवरी तक 4 महीने के लिए भट्ठे चलाने पर पाबंदी लगा दी है, जिसके चलते ईंटों के भाव आसमान छू रहे हैं। ईंटों के भाव बीते कल तक 4 हजार से 4500 रुपए तक देखे जा रहे थे जो आज 5 हजार या इसके नजदीक पहुंच गए हैं।
कुछ दिनों में धान की कटाई शुरू होने से जहां मजदूर महंगे भाव मिलेंगे वहीं पहले से महंगे भाव मिल रही रेत समेत इस मार के साथ मकान बनाना और कठिन हो जाएगा। सरकार के इस फरमान से जो वर्ग भट्ठों पर कच्चे माल के तौर पर ईंटें बनाने का काम करते थे उनका भविष्य भी अंधकार में चला गया है।इस संबंधी जिला भट्ठा एसोसिएशन के प्रधान राकेश अग्रवाल उर्फ बबली ने बताया कि पंजाब में इस वक्त 2500 के करीब ईंट भट्ठे चल रहे हैं।
सरकार द्वारा जो आदेश दिया गया है वह इन सभी भट्ठा मकान मालिकों पर एक नया बोझ है। उस उपकरण पर 35 से 40 लाख रुपए प्रति भट्ठा खर्च आता है। पहले से ही मंदे की मार सह रहे भट्ठा मकान मालिकों के लिए यह बहुत बड़ा बोझ साबित होगा। उन्होंने मांग की कि सरकार हमें यह यंत्र लगाने प्रति 80 प्रतिशत सबसिडी और बाकी रकम ब्याज रहित किस्तों पर मुहैया करवाए जिससे इस बोझ कारण हमें अपने उत्पादों के भाव न बढ़ाने पड़ें। उन्होंने कहा कि हमारा हरसंभव यत्न यही होगा कि भट्ठे की लेबर बेरोजगार न हो और उन्हें काम मिलता रहे।