रिंग रोड की रुकावटें दूर हुईं, सुप्रीम कोर्ट ने जिलाधीश को दिए अधिकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Dec, 2017 04:53 PM

supreme court reserves the right to the district magistrate

नगर सुधार ट्रस्ट की स्कीम नंबर 45.57 एकड़ में 200 फुट चौड़ी रिंग रोड बनाने का प्रावधान भी रखा गया था जिसमें आधुनिक बस स्टैंड भी बनाया जाना था लेकिन किन्हीं कारणों से व विवाद को लेकर यह स्कीम सफल नहीं हो पाई लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जल्द...

बठिंडा (विजय): नगर सुधार ट्रस्ट की स्कीम नंबर 45.57 एकड़ में 200 फुट चौड़ी रिंग रोड बनाने का प्रावधान भी रखा गया था जिसमें आधुनिक बस स्टैंड भी बनाया जाना था लेकिन किन्हीं कारणों से व विवाद को लेकर यह स्कीम सफल नहीं हो पाई लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जल्द ही रिंग रोड का मामला हल होगा। इससे पहले उच्च न्यायालय में नगर सुधार ट्रस्ट के हक में फैसला आ चुका है लेकिन कुछ विवादित स्थलों को लेकर किन्हीं लोगों ने सर्व उच्च न्यायालय में पटीशन दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गौर करते हुए पहली बार जिलाधीश को अधिकार दिए कि वह अवैध कब्जा जमाए व विवादित स्थलों का निपटारा करे।

यह रिंग रोड बरनाला बाईपास से लेकर मानसा रोड तक बनाई जानी है जिसमें आधे से अधिक सड़क बन चुकी है लेकिन कुछ साइटों पर विवाद चल रहा है जिसे लेकर यह रिंग रोड पिछले 10 वर्ष से लटकी चली आ रही थी। पूर्व अकाली-भाजपा सरकार दौरान भी रिंग रोड को निकालने के लिए जद्दोजहद की गई थी। लेकिन इस समस्या का हल निकल नहीं पाया था और मामला कोर्ट में चला गया था। अब रिंग रोड के एक ओर तो छावनी का क्षेत्र है व दूसरी ओर फेस-3, धोबियाना बस्ती, मॉडल टाऊन सहित कई कालोनियां जुड़ी हुई हैं। अगर रिंग रोड निकल जाती है तो शहर के लोगों को एक बड़ी राहत होती जबकि यातायात में भी सुधार होगा। सरकार व लोगों के पैसे के साथ समय की बचत होगी। बरनाला से डबवाली या मानसा रोड जाने के लिए पूरे शहर को कट कर यह रिंग रोड बनाई गई है और इससे लगभग 10 किलोमीटर का वाहन चालकों को फायदा भी होगा। ऐसे में तेल व समय की बचत होना संभव है तथा शहर से भी भारी वाहनों की आवाजाई बंद होगी। 


17 वर्ष पूर्व रखा था रिंग रोड का नींव पत्थर
आज से 17 वर्ष पूर्व 2001 में तत्कालीन निकाय मंत्री बलराम जी दास टंडन ने छावनी के साथ सटी रिंग रोड का नींव पत्थर रखा था जबकि 2004 में इसका अवार्ड सुनाया गया था लेकिन कुछ लोगों ने पैसा कम मिलने पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय की शरण ली थी। इस दौरान भूखंड मालिकों की सरकार के साथ बातचीत जारी रही लेकिन कोई हल नहीं निकला। 2011 में हाईकोर्ट का फैसला नगर सुधार ट्रस्ट के हक में हुआ तब रिंग रोड की बाधाएं दूर समझी जाने लगी। लेकिन स्थानीय लोगों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और 2017 में सुप्रीम कोर्ट बैंच ने विचार-विमर्श करने के बाद रिंग रोड बनाने की इजाजत दी थी। इस बीच आने वाली 16 एकड़ भूमि के लिए जिलाधीश को निर्देश जारी कर हल निकालने को कहा। 24 दिसम्बर को फैसला आने के बाद रिंग रोड को लेकर लोगों में एक बार फिर आशा की किरण दिखाई देने लगी। 


ट्रस्ट ने कालोनी के साथ बस स्टैंड की भी योजना रखी
नगर सुधार ट्रस्ट ने 45.57 एकड़ भूमि पर एक आधुनिक रिहायशी कालोनी बनाने की योजना तैयार की थी जिसमें एक आधुनिक बस स्टैंड के लिए भी 18 एकड़ का भूखंड रखा गया था। शहर की यातायात समस्या को देखते हुए बस स्टैंड तबदील करने की योजना अभी भी जारी है। नगर सुधार ट्रस्ट ने इस स्कीम के तहत पूरी जमीन कब्जे में लेकर इस पर कालोनी हेतु प्लाट काट दिए थे जिसके तहत अधिकतर लोगों ने वहां अपने रिेहायशी मकान बना लिए लेकिन लगभग 109 ऐसे प्लाट लंबित पड़े हुए हैं जिनमें निर्माण नहीं हुआ। 

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