पुलवामा हमले के बाद हाई अलर्ट जारी, चप्पे-चप्पे पर नजर

Edited By Vatika,Updated: 20 Feb, 2019 12:29 PM

pulwama attack

पुलवामा हमले के बाद पंजाब भर में हाई अलर्ट जारी किया हुआ है, जबकि सीमा पर तनाव को देखते हुए सेना व पुलिस ने आपसी तालमेल बढ़ाकर हर संदिग्ध पर नजर रखनी शुरू कर दी है। इस कड़ी में पुलिस सभी वाहनों की बारीकी से जांच कर रही है और सभी सार्वजनिक स्थलों पर...

बठिंडा(विजय): पुलवामा हमले के बाद पंजाब भर में हाई अलर्ट जारी किया हुआ है, जबकि सीमा पर तनाव को देखते हुए सेना व पुलिस ने आपसी तालमेल बढ़ाकर हर संदिग्ध पर नजर रखनी शुरू कर दी है। इस कड़ी में पुलिस सभी वाहनों की बारीकी से जांच कर रही है और सभी सार्वजनिक स्थलों पर पुलिस ने तलाशी अभियान चला रखा है।

पिछले 3 दिनों से पुलिस शहर के अढ़ाई सौ से अधिक पी.जी. खंगालने में जुटी है, हर पी.जी. में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पूरी जानकारी भी हासिल की जा रही है। इससे पहले पुलिस सभी पी.जी. संचालकों को निर्देश जारी कर पी.जी. में रहने वाले छात्रों व अन्य लोगों का पूरा ब्यौरा जमा करने व पुलिस को सूचित करने संबंधी कह चुकी है। शहर के लगभग हर गली मोहल्ले में पी.जी. की भरमार है, जबकि विशेष तौर पर अजीत रोड, 100 फुट रोड व बरनाला रोड स्थित रॉयल एन्क्लेव विशेष तौर पर पी.जी. से भरे हुए हैं। शहर का बड़ा मैडीकल कालेज आदेश यूनिवर्सिटी में हजारों की संख्या में छात्र हैं, जो दूसरे सभी राज्यों से आकर यहां पी.जी. व होस्टल में रह रहे हैं, सभी की जांच की जा रही है। जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, प. बंगाल, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा आदि सभी राज्यों से बहुसंख्या में छात्र मैडीकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य कोर्सों में प्रवेश लिए हुए हैं। इसके अलावा सैंकड़ों की संख्या में कोङ्क्षचग सैंटर हैं, जहां सभी कोर्सों के लिए कोङ्क्षचग सुविधा मिल रही है।

शैक्षणिक हब के तौर पर बठिंडा का नाम सबसे ऊपर आता है, दूर-दूर से छात्र कोङ्क्षचग के लिए आते हैं और ठहरने के लिए उन्हें पी.जी. का सहारा लेना पड़ता है। अधिकतर लोगों ने बिना सरकारी मापदंडों के अवैध पी.जी. घरों में ही खोल रखे हैं, जिसका सरकार के पास कोई भी रिकार्ड नहीं है। यही कारण है कि कई अपराधी किस्म के लोग इन पी.जी. में संरक्षण लेते हैं और वारदात के बाद फरार हो जाते हैं। इन पी.जी. पर लगाम कसने के लिए पुलिस ने सभी पी.जी. संचालकों के साथ बैठकें भी कीं और उन्हें ताडऩा भी की थी कि वे हर कीमत पर पी.जी. का रिकार्ड मैंटेन रखें, लेकिन केवल 25 प्रतिशत पी.जी. ही पुलिस को रिकार्ड दे पाए हैं। पुलिस के लिए ये पी.जी. सिरदर्द बने हुए हैं क्योंकि आइलैट्स जैसे कोर्सों के लिए केवल 2 या 3 महीने के लिए ही छात्र इन पी.जी. में रुकते हैं और चले जाते हैं। ऐसे में पुलिस को सभी छात्रों का ब्यौरा रखने में असुविधा हो रही है। 

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