Edited By swetha,Updated: 10 Dec, 2019 12:01 PM
अमृतसर रेल हादसे पर हर आंख रोई थी। सरकार ने पीड़ित परिवारों के साथ बड़े-बड़े वायदे किए थे।
अमृतसर(संजीव): अमृतसर रेल हादसे पर हर आंख रोई थी। सरकार ने पीड़ित परिवारों के साथ बड़े-बड़े वायदे किए थे। सरकारी नौकरी के साथ साथ उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का भी ढोल पीटा गया था। मगर आज एक साल बीत जाने के बाद भी सरकार अपने वायदों से मुकर गई है। न तो उन्हें सरकारी नौकरी दी गई और न ही इस रेल हादसे में मारे गए 60 लोगों के परिवारों को इंसाफ ही मिल पाया है। यह कहना था उन पीड़ित परिवारों को जो कड़कती ठंड में आज भंडारी पुल पर सरकार की आंखे खोलने के लिए तख्तियां हाथ में लिए बैठे थे और सरकार को उसके वायदे याद दिला रहे थे।
अनु, स्वर्ण कौर व नंद किशोर का गुस्सा इस कदर फुटा कि उन्होंने एक सुर में कहा कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्य खोए हैं। मगर सरकारी तंत्र के कानों तले आज तक जूं तक नहीं सरकी। अगर जल्द ही पंजाब सरकार द्वारा इंसाफ न दिया गया तो वह एक साथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से न्याय की गुहार लगाएंगे। यहां यह बताने योग्य है कि 19 अक्तूबर 2018 को अमृतसर के जोड़ा फाटक के समीप दशहरा देख रहे लोगों के ऊपर से तेज रफ्तार रेलगाड़ी कुचलती हुई निकल गई थी, जिसमें करीब 60 लोगों की मौत हो गई थी। रेल हादसे के बाद पंजाब सरकार ने पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा तो दे दिया था, मगर इसके साथ हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व बेसहारा हुए परिवार के बच्चों की मुफ्त पढ़ाई करवाने का भी कहा गया था। मगर न तो इन परिवारों को नौकरी मिली और न ही उनके बच्चों के लिए शिक्षा का प्रबंध किया गया। इसलिए आज यह परिवार एक बार फिर भंडारी पुल पर बैठ रोष जता रहे थे।