इस भयानक बीमारी से हर डेढ़-दो मिनट में होती है एक रोगी की मौत

Edited By Updated: 24 Mar, 2017 11:06 AM

tv disease injurious for health

टी.बी. ट्यूबरक्यूलोसिस नामक माइक्रो बैक्टीरिया से होने वाली एक ऐसी घातक बीमारी है जोकि वैसे तो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है,

जालंधर(भूपिंद्र रत्ता): टी.बी. ट्यूबरक्यूलोसिस नामक माइक्रो बैक्टीरिया से होने वाली एक ऐसी घातक बीमारी है जोकि वैसे तो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह फेफड़ों में होती है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग हर डेढ़-दो मिनट में एक रोगी की मौत टी.बी. के कारण होती है। इस बीमारी को फैलाने वाले बैक्टीरिया की खोज 24 मार्च 1882 को सर रॉबर्ट कॉक ने की थी, इसलिए अब हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टी.बी. दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को इस बीमारी संबंधी जागरूक किया जा सके। केंद्र सरकार ने इस बीमारी पर काबू पाने के लिए सन् 1962 में नैशनल टी.बी. कंट्रोल प्रोग्राम शुरू किया था, लेकिन इस बीमारी को काबू न किए जाने के कारण फिर से पूरे भारत में सन् 2006 को रिवाइज्ड नैशनल ट्यूबरक्यूलोसिस कंट्रोल प्रोग्राम (आर.एन.टी.सी.पी.) शुरू किया गया जिसके तहत सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में टी.बी. की पूरी जांच व इलाज मुफ्त किया जाता है। सरकार द्वारा जहां जगह-जगह बलगम जांच सैंटर शुरू किए गए, वहीं रोगियों की सुविधा के लिए डॉट सैंटर खोले गए।

टी.बी. रोगी को खांसते समय मुंह पर कपड़ा रख लेना चाहिए 
वेदांता मल्टीस्पैशलिस्ट अस्पताल एवं गुड हैल्थ क्लीनिक के प्रमुख टी.बी. एंड चैस्ट स्पैशलिस्ट डा. अरुण वालिया ने बताया कि इस बीमारी से ग्रस्त रोगियों के खांसने, छींकने व थूकने से बैक्टीरिया हवा में आ जाते है, जो रोगी के आसपास रहने वाले दूसरे व्यक्ति के शरीर में श्वास के साथ प्रवेश कर जाते हैं, जिससे दूसरे व्यक्ति को भी टी.बी. हो जाती है। उन्होंने बताया कि टी.बी. के रोगी को खांसते या छींकते समय अपने मुंह पर कपड़ा रख लेना चाहिए ताकि टी.बी. के बैक्टीरिया न फैल सकें। 

फेफड़ों के बाद दिमाग में टी.बी. होना आम बीमारी है
नासा न्यूरो केयर के प्रमुख न्यूरोलोजिस्ट डा. संदीप गोयल ने बताया कि फेफड़ों के बाद दिमाग में टी.बी. होना आम बीमारी है। लगातार उल्टियां आना, गर्दन एवं रीढ़ की हड्डी में अकडऩ, तेज बुखार, व्यवहार में परिवर्तन या दौरे बार-बार पडऩा दिमाग की टी.बी. के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन लक्षणों से ग्रस्त रोगी को तुरंत विशेषज्ञ से जांच करवा कर इलाज शुरू करना चाहिए ताकि बीमारी ठीक हो सके।

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