सिद्धू ने निगमों से मांगी अंडरग्राऊंड केबल डालने के लिए दी मंजूरी की रिपोर्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jul, 2017 02:35 PM

sidhu asks for approval for inserting underground cable sought from corporations

लोकल बाडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने पिछले दिनों फास्ट-वे कम्पनी पर सरकार को कई सौ करोड़ का चूना लगाने बारे जो आरोप लगाए थे, उस संबंधी ग्राऊंड लेवल पर कार्रवाई तेज हो गई है।

लुधियाना (हितेश): लोकल बाडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने पिछले दिनों फास्ट-वे कम्पनी पर सरकार को कई सौ करोड़ का चूना लगाने बारे जो आरोप लगाए थे, उस संबंधी ग्राऊंड लेवल पर कार्रवाई तेज हो गई है। इसके तहत नगर निगमों से पिछले समय दौरान अंडरग्राऊंड केबल बिछाने बारे दी गई मंजूरी की डिटेल मांगी गई है। सिद्धू का अकालियों खासकर सुखबीर व मजीठिया से छत्तीस का आंकड़ा रहा है और से फास्ट-वे कम्पनी का नाम भी शुरू से इनके साथ जुड़ता है।

उसके तहत सिद्धू सरकार में आने से पहले ही लगातार फास्ट-वे को निशाना बनाते रहे हैं। अब एम.एल.ए. सुखजिन्द्र रंधावा ने विधानसभा में सवाल क्या लगाया, सिद्धू को अपनी भड़ास निकालने का मौका मिल गया और उन्होंने फास्ट-वे पर सरकार को 684 करोड़ का टैक्स न देने के आरोप लगाए हैं, जिसमें मुख्य रूप से सॢवस टैक्स, मनोरंजन कर, सेल्ज टैक्स की चोरी के अलावा बिजली के खंभों पर तारें लगाने के बदले बनते चाॢजस हजम करने का पहलु तो शामिल है ही। बिना मंजूरी के अंडरग्राऊंड डालने का खुलासा भी किया गया है।

सिद्धू की मानें तो एक प्रमुख कम्पनी को सिर्फ इसलिए अंडरग्राऊंड तारें बिछाने की मंजूरी दे दी गई कि उसके बदले वे फास्ट-वे की तारें मुफ्त में बिछाएगी। जिससे सरकारी राजस्व को दोहरा नुक्सान हुआ है। हालांकि फास्ट-वे कम्पनी की तरफ से प्रैस कान्फ्रैंस के कुछ देर बाद ही सिद्धू के आरोपों को निराधार करार दे दिया था। लेकिन सिद्धू के दावों को झुठलाने के लिए कोई प्वाइंट वाइज आंकड़े पेश नहीं किए गए। उसके मद्देनजर सिद्धू ने अपने आरोपों को साबित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।

लोकल बॉडीज विभाग ने सभी नगर निगमों से रिपोर्ट मांगी है कि उन्होंने पिछले समय दौरान अंडरग्राऊंड केबल डालने के लिए कितनी मंजूरी दी और उसके बदले कितनी फीस वसूल की गई। उसके आधार पर ही जमीन के नीचे डाली गई केबल का मंजूरी से मिलान किया जाएगा। हालांकि इस रिपोर्ट में फास्ट वे या किसी कम्पनी के नाम के हिसाब से डिटेल नहीं मांगी गई। लेकिन इतना तो तय है कि यह सब फास्ट-वे पर अवैध रूप से केबल डालने के आरोप में बनते जुर्माने की कैलकुलेशन करके डिमांड नोटिस भेजने की कवायद का हिस्सा है। 

खंभों व टावरों की भी मांगी रिपोर्ट
सिद्धू ने यह भी कहा था कि फास्ट वे ने बिजली विभाग के खंभों पर तारें डालने के बदले 100 रुपए महीना भी सरकार को नहीं दिया, जो आंकड़ा 3.25 लाख खंभों के हिसाब से 30 करोड़ बनता है। जो 300 फीसदी जुर्माना लगने पर 100 करोड़ के करीब पहुंच जाएगा। उसके अलावा एक पहलु यह भी है कि नगर निगम द्वारा लगाए स्ट्रीट लाइटों के खंभों पर भी तारें डाली गई हैं। जिनके लिए मंजूरी देने का फीस वसूलने का ब्यौरा भी सरकार ने मांग लिया है। इसी तरह पार्कों में जो टावर लगे हुए हैं, उनसे जुड़ा सारा रिकार्ड भी तलब किया गया है।

इंजीनियरों को बुलाकर जानी प्रक्रिया
वैसे तो पूरे पंजाब की नगर निगम में कार्यरत जूनियर इंजीनियरों को सिद्धू के साथ मीटिंग के नाम पर चंडीगढ़ बुलाया गया था। लेकिन वहां डायरैक्टर लोकल बॉडीज के.के. यादव व सलाहकार अमर सिंह ने सम्बोधित किया। इस दौरान मोबाइल टावर लगाने व अंडरग्राऊंड केबल बिछाने के लिए आवेदन करने से लेकर मंजूरी देने तक की सारी प्रक्रिया बारे जानकारी हासिल की गई। 

गाज गिरने के डर से अफसरों में घबराहट
सिद्धू ने चार्ज संभालने के बाद से अब तक जिस तरह के तेवर अपनाए हैं। उसके मद्देनजर अब अंडरग्राऊंड केबल डालने के मामले में गाज गिरने को लेकर अफसरों में काफी घबराहट पाई जा रही है, क्योंकि उनसे मंजूरी देने बारे रिपोर्ट मांगी गई है। उसके बाद होने वाली जांच में जो केबल अवैध रूप से डालने का खुलासा हुआ तो उस समय इलाके में तैनात रहने के बावजूद कार्रवाई न करने वाले अफसरों की शामत जरूर आएगी।

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