Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 08:49 AM
चुनावों में माइनिंग माफिया को खदेडऩे के दावे करने वाली कांग्रेस सरकार के राज में अवैध गुंडा वसूली बंद नहीं हो पाई है
जालंधर (पुनीत): चुनावों में माइनिंग माफिया को खदेडऩे के दावे करने वाली कांग्रेस सरकार के राज में अवैध गुंडा वसूली बंद नहीं हो पाई है केवल वसूली करने वालों के चेहरे बदले हैं। एक छोटे क्रशर से भी प्रति माह 3.50 लाख रुपए अवैध गुंडा वसूली की जा रही है जिससे कांग्रेस के बड़े-बड़े दावे हवा हो गए हैं।
अकाली राज में माइनिंग पर अवैध वसूली करने वाले माफिया द्वारा कांग्रेस राज में भी पक्के नाके लगाकर वसूली करने का मामला ‘पंजाब केसरी’ द्वारा 23 मार्च को प्रमुखता के साथ उठाया गया था जिसके बाद कांग्रेस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गुंडों के नाके उखाड़ दिए थे और अवैध वसूली बंद होने से 25 मार्च को 2000 रुपए प्रति ट्रक रेत सस्ती हो गई थी।
1 अप्रैल को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने वित्त मंत्री मनप्रीत बादल की अगुवाई में एक कमेटी का गठन करके 30 दिनों के भीतर माइङ्क्षनग पालिसी लाने का दावा किया था लेकिन आज 3 माह बीत जाने के बावजूद कांग्रेस सरकार माइनिंग पॉलिसी नहीं ला पाई है। पठानकोट में गुंडा तत्वों द्वारा अभी भी बड़े स्तर पर इस वसूली का खेल चल रहा है। गुंडा तत्वों ने हरियाल, बेहडिय़ा, मीरथल, कंडरा, तलवाड़ा में अपने कारिंदे छोड़ रखे हैं जो क्रशरों से प्रतिदिन 12 से 15 हजार रुपए वसूली करते हैं। गुंडा तत्वों ने अपना टैक्स अब बिजली के बिल के हिसाब से लगाया है। जिस क्रशर का बिल 1 लाख रुपए आता है उससे साढ़े 3 लाख रुपए माइनिंग फीस वसूली जाती है।
गुंडा टैक्स महीने या हफ्ते बाद नहीं बल्कि रोजाना लिया जाता है। छोटे क्रशर से 12 हजार रुपए व बड़े क्रशर से 15 से 18 हजार रुपए रोजाना वसूली की जाती है तथा महीने बाद बिजली के बिल के हिसाब से बकाया राशि वसूल की जाती है। जो क्रशर इसका विरोध करके गुंडा टैक्स नहीं देता उस पर पर्चा दर्ज कराने की धमकियां दी जाती हैं। पठानकोट के हाजीपुर में अभी भी बहुत से क्रशर बंद पड़े हैं। मौजूदा समय में जो हालात हैं उससे ऐसा लग रहा है कि गुंडा तत्वों ने कांग्रेस सरकार में भी अपनी पैठ बना ली है जिसके चलते प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई नहीं पा रहा और इनका वसूली का खेल उसी तरह से चल रहा है जैसे अकाली सरकार के समय चल रहा था।
कांग्रेस राज में प्रशासन की मिलीभगत के साथ उक्त सारा खेल चल रहा है जिससे कांग्रेस की साख पर बट्टा लग रहा है क्योंकि कांग्रेस माइनिंग पॉलिसी लाने में विफल रही है व अभी भी रेत के दाम आसमान छू रहे हैं जिससे जनता को राहत नहीं मिल पाई है। इस पूरे घटनाक्रम का नुक्सान कांग्रेस को निगम चुनावों में उठाना पड़ेगा क्योंकि आम आदमी पार्टी जैसे विपक्षी दल इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
सरकार ने नहीं गुंडों ने अपनाया हिमाचल सिस्टम
सरकार पॉलिसी नहीं ला पाई जबकि इंडस्ट्री की डिमांड थी कि हिमाचल की तर्ज पर माइङ्क्षनग फीस वसूल की जाए। हिमाचल में बिजली के प्रति यूनिट पर टैक्स लगाया जाता है। सरकार ने भले ही हिमाचल का सिस्टम नहीं अपनाया लेकिन गुंडों ने इसे अपना लिया है। पड़ोसी राज्य की तर्ज पर यदि कांग्रेस सरकार माइङ्क्षनग पॉलिसी बनाए तो उससे पंजाब की क्रशर इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल सकता है। मौजूदा समय में आॢथक संकट से जूझ रही इस इंडस्ट्री को बचाने के लिए सरकार को ऐसी पॉलिसी बनाने की आवश्यकता है जिसके जरिए लोगों का इस इंडस्ट्री के प्रति रुझान बढ़ सके और पंजाब में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकें।