Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Dec, 2017 07:21 AM
जालंधर निगम चुनाव में अकाली दल की हालत खूब पतली हुई। पार्टी 29 में से महज 5 सीटें ही हासिल कर पाई। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जालंधर निगम का एक मात्र अकाली हलका जालंधर कैंट, जहां 11 में से 8 सीटें अकाली दल की थीं और सारी सीटों पर टिकटें अकाली दल के...
जालंधर (बुलंद): जालंधर निगम चुनाव में अकाली दल की हालत खूब पतली हुई। पार्टी 29 में से महज 5 सीटें ही हासिल कर पाई। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जालंधर निगम का एक मात्र अकाली हलका जालंधर कैंट, जहां 11 में से 8 सीटें अकाली दल की थीं और सारी सीटों पर टिकटें अकाली दल के नेता सर्बजीत सिंह मक्कड़ के कहने पर दी गई थीं, वहां पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई।
पार्टी सूत्रों की मानें तो कैंट हलके की 9 सीटों के अलावा मक्कड़ गुट ने वार्ड नं.-15 से रमिन्द्र कौर ढींढसा, वार्ड नं.-47 से प्रीतम सिंह, वार्ड नं.-33 से रत्नजीत कौर को टिकट दिलाई थी और वार्ड नं.-51 से बलविंद्र कौर भाटिया को अरविंद्र कौर ओबराय के हक में बिठा कर यहां भी सारी गेम आखिरी रात को पलट दी थी, पर इन सारी सीटों में से एक भी सीट अकाली दल जीत नहीं पाया। इससे पार्टी में सीधे तौर पर जहां मक्कड़ गुट के प्रति नाराजगी बढ़ी है, वहीं भाजपा ने कई वार्ड मनोरंजन कालिया के कहने पर धक्के से अकाली दल को दिए थे और उसके वार्ड अपनी पार्टी हेतु ले लिए थे, जहां पार्टी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इससे पार्टी में भाजपा को लेकर नाराजगी है।
कांग्रेस ने बहुत धक्केशाही की : मन्नण
मामले के बारे में पार्टी के जिला प्रधान कुलवंत सिंह मन्नण का कहना है कि कांग्रेस ने बहुत धक्केशाही की है। उन्होंने कहा कि आखिरी दिन तक अकाली उम्मीदवारों और वर्करों को धमकाया जाता रहा। कई वार्डों में मतगणना केंद्रों में धक्के से नतीजे कांग्रेस के हक में घोषित किए गए।