Edited By Updated: 05 Dec, 2016 03:22 PM
विश्व के प्रसिद्ध ब्यास नदी पर बने पौंग बांध की 327 वर्ग किलोमीटर में फैली झील की जल भंडारण क्षमता सिल्ट के कारण लगातार कम हो रही है तथा उक्त बांध के अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो गया है।
मुकेरियां (सुदर्शन): विश्व के प्रसिद्ध ब्यास नदी पर बने पौंग बांध की 327 वर्ग किलोमीटर में फैली झील की जल भंडारण क्षमता सिल्ट के कारण लगातार कम हो रही है तथा उक्त बांध के अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि 1970 के आसपास झील में समाई जमीन की कीमत बी.बी.एम.बी. द्वारा विस्थापितों को दे दी गई तथा इस भूमि के बदले उन्हें राजस्थान के श्रीगंगागर तथा हनुमानगढ़ आदि जिलों में भूमि भी आबंटित की जा चुकी है परन्तु इस प्रवेश व खेती वर्जित क्षेत्र में अब भी इन विस्थापितों ने बांध की जमीन पर खेती करना बंद नहीं किया। 15 सितम्बर के बाद जब झील के पानी का स्तर कम होने लगता है तो इन विस्थापितों द्वारा बांध के लगभग 73 प्रतिशत जमीन पर गेहूं, चने, सरसों आदि अन्य फसलों की बिजाई शुरू हो जाती है।
ट्रैक्टर आदि चलने से उखड़ी मिट्टी वर्षा एवं आंधी के चलते झील में गिरने से सिल्ट (गाद) का रूप धारण कर रही है, जिससे झील की भंडारण क्षमता तो कम हो रही है, साथ में बांध के अस्तित्व को भी कथित खतरा बनता जा रहा है। गौरतलब है कि इस महत्वपूर्ण बांध पर 6 टरबाइनों से 396 मैगावाट और 4 अन्य पनबिजली घरों से 207 मैगावाट विद्युत उत्पादन प्रतिदिन हो रहा है। इससे निकली मुकेरियां हाईडल नहर से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल की जमीन को सिंचाई सुविधा मिल रही है, साथ ही कंडी नहर अद्र्ध पहाड़ी एवं मैदानी भाग को भी सींचती है।