Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Aug, 2017 11:37 AM
पिम्स इम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले पिम्स में अलग-अलग काम कर रहे पैरा मैडीकल स्टाफ जिसमें नॄसग स्टाफ, एक्स-रे टैक्नीशियन.........
जालंधर (अमित) : पिम्स इम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले पिम्स में अलग-अलग काम कर रहे पैरा मैडीकल स्टाफ जिसमें नॄसग स्टाफ, एक्स-रे टैक्नीशियन, बिलिंग स्टाफ, क्लैरिकल स्टाफ, इलैक्ट्रीशियन, प्लम्बर आदि शामिल हैं, की तरफ से कुछ समय पहले 15 दिन के लंबे अंतराल के लिए हड़ताल की गई थी जिसकी समाप्ति में मुख्य भूमिका निभाने वाली लेबर कमिश्नर के दफ्तर में दोनों पक्षों के बीच मीटिंग हुई, जिसमें कुछ बातों को लेकर आम सहमति बनी थी और दोनों पक्षों में हुए समझौते के तहत स्टाफ ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था।
उसके टूटने संबंधी लेबर विभाग के पास की गई शिकायत का विभाग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए पिम्स प्रबंधन और इम्प्लाइज यूनियन के बीच ए.एल.सी. दफ्तर में एक बार फिर से मीटिंग आयोजित की, जिसमें पिम्स प्रबंधन की तरफ से दिनेश कुमार मिश्रा, सुनील शर्मा और सुनीश टांगड़ी उपस्थित हुए। पिम्स इम्प्लाइज यूनियन ने पदाधिकारियों के साथ-साथ वकील इंद्रजीत सिंह और यूनियन लीडर चंदन ग्रेवाल भी शामिल हुए। इस अवसर पर सैक्रेटरी धॄमद्र कुमार, वीरपाल कौर, लवीजा, सतिंद्र सैनी, गगनदीप, विशाल कपिल, गुरविंद्र सिंह, साहिल शर्मा, दीपक आदि उपस्थित थे।
यूनियन के प्रधान नरिंद्र कुमार ने कहा कि ए.एल.सी. द्वारा इस बात का फैसला लिया गया है कि असैंशियल सर्टीफिकेट में लिखी गई सैलरी स्केल की डिटेल डिपार्टमैंट ऑफ मैडीकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पंजाब से एक पत्र द्वारा मांगी जाएगी और जवाब आने के बाद सैलरी स्केल लागू करवाए जाएंगे। पिम्स प्रबंधन की तरफ से लेबर कमिश्नर को सैलरी रजिस्टर दिखाने से साफ तौर पर मना कर दिया गया। इसके साथ ही लेबर कोर्ट में हुई कार्रवाई पर बिना साइन किए ही पिम्स प्रबंधन के सदस्य मीटिंग छोड़कर बाहर आ गए। नरिंद्र ने कहा कि पिम्स प्रबंधन द्वारा कम सैलरी स्केल देकर सरकार के साथ धोखा किया जा रहा है।
डिपार्टमैंट ऑफ मैडीकल एजुकेशन एंड रिसर्च पंजाब की तरफ से पिम्स को जारी किए गए असैंशियल सर्टीफिकेट में जो सैलरी स्केल दिए जाते हैं, वे पंजाब सरकार द्वारा निर्धारित होते हैं मगर प्रबंधन अपनी मर्जी से कम स्केल दे रहा है। उन्होंने कहा कि यूनियन ने मांग रखी कि अगर सरकारी स्केल नहीं दिए जा सकते तो डी.एम.सी. के बराबर स्केल दिए जाएं। सैक्रेटरी धर्मिंद्र और प्रैस सैक्रेटरी विशाल कुमार ने बताया कि पिम्स के फाइनैंस कंट्रोलर दिनेश कुमार मिश्रा और रैजीडैंट डायरैक्टर डा. कंवलजीत सिंह ने उनसे कहा है कि प्रबंधन के पास स्टाफ को देने के लिए फंड की कमी है।
यूनियन का कहना है कि उक्त अधिकारियों का कहना है कि सरकार उनके पैसे वापस कर दे, तो वे अस्पताल सरकार के अधीन करने को तैयार हैं। यूनियन ने आरोप लगाया है कि एक तरफ प्रबंधन फंड की कमी का कहता है, दूसरी तरफ अपनी करीबी प्रिंसीपल मैडम के पति रविंद्र पाल सिंह, नर्सिंग सुपरिंटैंडैंट आर.के. सूदन और रेडियोलॉजिस्ट रेखा गोयल को पिम्स में ही रिटायर होने के बावजूद 2-2 लाख रुपए वेतन देकर कुर्सी के ऊपर बैठाया गया है जिससे साफ होता है कि प्रबंधन की तरफ से अपने करीबियों को खुश करने के लिए लाखों रुपए दिए जा रहे हैं।