Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 04:39 PM
जिले के भारत-पाक बॉर्डर और सतलुज दरिया के साथ लगते सरकारी स्कूलों के लिए खेल मैदान न होने के कारण विद्यार्थियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते बच्चे सतलुज दरिया के किनारे खाली जगह पर खेलने को मजबूर हो रहे हैं। अब ऐसे बच्चों...
फिरोजपुर(कुमार): जिले के भारत-पाक बॉर्डर और सतलुज दरिया के साथ लगते सरकारी स्कूलों के लिए खेल मैदान न होने के कारण विद्यार्थियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते बच्चे सतलुज दरिया के किनारे खाली जगह पर खेलने को मजबूर हो रहे हैं। अब ऐसे बच्चों से हम विश्वस्तर पर होने वाली खेलों में ‘गोल्ड’ की आस कैसे रख सकते हैं जिनके पास अभ्यास करने के लिए मैदान तक नहीं हैं।
शिक्षा के प्रति लोगों को किया जा रहा जागरूक
सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल गट्टी राजो की के पिं्रसीपल नैशनल अवार्डी डाक्टर सङ्क्षतद्र सिंह ने बताया कि शिक्षा के प्रति सीमावर्ती गांवों में जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा हासिल कर अपने सपनों को पूरा कर सकें। उन्होंने बताया कि सीमावर्ती गांवों के बच्चों में पढ़ाई करने की चाहता है और बच्चे स्कूलों में दाखिला लेने लगे हैं। इस समय उनके स्कूल के विद्यार्थियों की संख्या करीब 650 है। वह सरकार, सामाजिक संगठनों व एन.जी.ओज की मदद से विद्यार्थियों को सभी आधुनिक शिक्षा संबंधी सुविधाएं और बुनियादी ढांचा प्रदान कर रहे हैं।
अध्यापकों की कमी, बच्चों के पास यूनिफार्म व स्टेशनरी नहीं
फिरोजपुर सरहदी गांवों के प्राइमरी, हाई और सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में अध्यापकों की कमी है और स्कूली बच्चों को अभी तक यूनिफार्म और स्टेशनरी नहीं मिली, जिस कारण उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
क्या कहते हैं जिला शिक्षा अफसर
जिला शिक्षा अफसर मलकीयत सिंह ने बताया कि अध्यापकों के खाली पड़े पद भरने के लिए सरकार को लिखा गया है और शिक्षा प्रोवाइडरों की नियुक्तियां करके बच्चों की पढ़ाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।