Edited By Updated: 10 Dec, 2016 01:16 PM
आखिरकार नोटबंदी की मिस मैनेजमैंट सिस्टम के खिलाफ इंडस्ट्री व ट्रेड के सब्र का बांध टूटा और कैश की किल्लत से चौपट हो रहे व्यापार व
लुधियाना(संदीप): आखिरकार नोटबंदी की मिस मैनेजमैंट सिस्टम के खिलाफ इंडस्ट्री व ट्रेड के सब्र का बांध टूटा और कैश की किल्लत से चौपट हो रहे व्यापार व इंडस्ट्री को देख परेशान उद्यमियों ने तलख अंदाज के साथ मीटिंग करते हुए 16 दिसम्बर से बंद की घोषणा की। लुधियाना विश्वकर्मा चौक में राज्यस्तर पर रोष रैली निकालते हुए सड़कों पर आएंगे। प्रदर्शन की आवाज दिल्ली तक पहुंचाने के उद्देश्य से इंडस्ट्री व ट्रेड शनिवार से सभी औद्योगिक व व्यापारिक संगठनों को साथ जोडऩे के लिए सम्पर्क अभियान शुरू करेंगे। आज मीटिंग में सम्बोधित कर रहे उद्यमियों व व्यापारियों ने प्रधानमंत्री की नोटबंदी से त्रस्त होकर कपड़ों एवं व्यापारिक परिसरों के बाहर काले बिल्ले लगाने की बात कही। वहीं इस लड़ाई को इंडस्ट्री व ट्रेड की आजादी की लड़ाई की संज्ञा दी। उन्होंने एक आवाज में इस राष्ट्रस्तरीय लड़ाई को लडऩे के लिए राज्य भर के विभिन्न औद्योगिक संगठनों से 11 सदस्यीय ऑल इंडिया इंडस्ट्री एवं ट्रेड फोरम के गठन की भी बात कही गई।
इंडस्ट्री व ट्रेड की समस्या को नजरअंदाज कर रहे उद्यमी नेताओं को दरकिनार कर उद्यमियों व व्यापारियों द्वारा आयोजित इस मीटिंग में इंडस्ट्री के दम पर राजनीतिक रोटियां व लाभ ले रहे मौकापरस्त नेताओं का भी बायकाट करने के ठहाके स्पष्ट कर रहे थे कि सामान्य ट्रेड व इंडस्ट्री सरकार के इस तानाशाही नियम से कितने दुखी हैं। मीटिंग दौरान मंच पर बैठे सभी उद्यमियों में मुख्य रोष प्लाटिक मनी एवं सरकार की मनी डिस्ट्रीब्यूशन के मिस मैनेजमैंट के खिलाफ दिखा। आयोजकों का मानना था कि सरकार ब्लैक मनी रखने वाले 623 लोगों को दरकिनार एवं बड़ी कम्पनियों के कर्जे माफ कर उन्हें नई फंडिंग उपलब्ध करवाने के लिए 132 करोड़ जनता को छींकें पर टांग रही है। उनका कहना था कि अगर सरकार इतनी ही सख्त है तो लोगों के पास इतनी नई मुद्रा कैसे पहुंच गई।
वहीं अगर सरकार ने 30 दिसम्बर तक का समय निर्धारित किया था तो उससे पहले पुलिस की चैकिंग व आयकर विभाग के सर्वे का क्या औचित्य था। कइयों ने तो यह तक कहने में गुरेज नहीं किया कि वास्तव में यह मोदी सरकार की लोकतंत्र को समाप्त कर तानाशाही फैलाने की कोशिश है। मीटिंग दौरान उद्यमियों ने सभी पाॢटयों को चेतावनी दी कि यह हिन्दुस्तानियों की रोष रैली है जो कोई अपनी पार्टीगत नीतियों के कारण इसमें शामिल होकर इंडस्ट्री की आवाज का समर्थन नहीं करता, आगामी चुनावों में ट्रेड एवं मजदूर उनका कोई समर्थन नहीं करेंगे।