Edited By Updated: 06 Dec, 2016 02:37 PM
वैडिंग सीजन में नोटबंदी के चलते नोटों के हारों ने लगभग हार मान ली है। अभी कुछ दिन पहले की बात है कि घर में शादी की तैयारियां शुरू
होशियारपुर (जैन): वैडिंग सीजन में नोटबंदी के चलते नोटों के हारों ने लगभग हार मान ली है। अभी कुछ दिन पहले की बात है कि घर में शादी की तैयारियां शुरू होते ही लोग नए नोटों का जुगाड़ कर दूल्हे के लिए हार बनवाने की तैयारी करते थे। केवल पारिवारिक सदस्य ही नहीं बल्कि घर के नजदीकी रिश्तेदारों की भी पहल रहती थी कि घोड़ी के वक्त दूल्हे के लिए नोटों का हार जरूर पहनाया जाए, लेकिन अब हालात पूरी तरह विपरीत हो चुके हैं। अब दूल्हों के गले का श्रृंगार सजावटी हार बनेंगे।
नोटों के हार की नहीं डिमांड
घंटाघर क्षेत्र के दुकानदार राम प्रकाश शर्मा का कहना है कि 20-25 दिन से नोटों के हार की कोई डिमांड नहीं आ रही। उनका कहना है कि लोगों के पास शादी पर दूसरे खर्चे पूरे करने के लिए पैसे कम पड़ रहे हैं तो नोटों के हारों को ऐसे में कौन पूछेगा। उन्हें उम्मीद है कि मनी का फ्लो ठीक होने पर कारोबार में चमक आएगी।
चांदी के सिक्के वाली माला का होगा इस्तेमाल
एक विवाह वाले घर में जब सम्पर्क किया गया तो उनका कहना था कि नोटों के हार मार्कीट में उपलब्ध नहीं। इसलिए परिवार व सगे संबंधियों ने फैसला लिया है कि या तो चांदी के सिक्के वाली मोतियों की माला का इस्तेमाल होगा अथवा सजावटी हार दूल्हे को पहना कर उसकी झोली में नकद शगुन डाल दिया जाएगा। नाम न छापने की शर्त पर इस परिवार का कहना था कि मजबूरीवश परिस्थितियों से समझौता तो करना ही पड़ेगा।
परिस्थितियों को लेकर दुकानदार निराश
पिछले करीब 25 साल से हारों का कारोबार करने वाले कोतवाली बाजार के दुकानदार मेहर चंद भी इन परिस्थितियों को लेकर काफी निराश दिखे क्योंकि उनकी रोजी रोटी का साधन तो केवल नोटों के हार हैं। उन्होंने बताया कि नई करंसी अथवा नए छोटे नोट मार्कीट में उपलब्ध नहीं। दुकान सजाने के लिए मजबूरीवश उन्होंने दुकान पर सजावटी नोटों से गूथे हार लटका रखे हैं।