निगम चुनाव जीतने के कांग्रेस के सपने को लग सकता है ग्रहण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Oct, 2017 03:12 PM

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नोटबंदी व जी.एस.टी. के कारण मोदी से नाराज चल रहे उद्यमी अब बिजली दरों में बढ़ौतरी को लेकर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को भी कोसने लगे हैं। जिससे कांग्रेस द्वारा गुरदासपुर के बाद नगर निगम चुनावों में जीत को लेकर देखे जा रहे सपने पर ग्रहण लग सकता है। उद्योग...

लुधियाना (हितेश): नोटबंदी व जी.एस.टी. के कारण मोदी से नाराज चल रहे उद्यमी अब बिजली दरों में बढ़ौतरी को लेकर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को भी कोसने लगे हैं। जिससे कांग्रेस द्वारा गुरदासपुर के बाद नगर निगम चुनावों में जीत को लेकर देखे जा रहे सपने पर ग्रहण लग सकता है। उद्योग व व्यापार जगत में सबसे ज्यादा गुस्सा पी.एम. मोदी के खिलाफ है जिसकी वजह नोटबंदी के फैसले से कारोबार प्रभावित होने के बाद जी.एस.टी. लागू होने पर सारी कसर पूरी होने को बताया जाता है। इसके अलावा रोजगार छिनने को लेकर आम वर्ग में भी भाजपा सरकार के प्रति कम नाराजगी नहीं है।

इस दौर को कांग्रेस के लिए संजीवनी के रूप में देखा जा रहा है। इसके संकेत गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव के बम्पर नतीजों से मिल चुके हैं। उससे उत्साहित कांग्रेस ने माहौल को भुनाने के लिए जल्द नगर निगम चुनाव करवाने की कवायद भी तेज कर दी है। इसके तहत वार्डबंदी फाइनल करने सहित ग्रांटों का ऐलान किया जा रहा है।लेकिन इन सारी तैयारियों पर उद्योग व व्यापार पर बैक डेट यानी कि अप्रैल से बिजली की दरें बढ़ाने सहित उन पर फिक्स चार्जिस लगाने बारे सरकार द्वारा लिए फैसले का ग्रहण लग सकता है। क्योंकि उद्यमी उन्हें नवम्बर से 5 रुपए यूनिट बिजली मिलने के अलावा इस मुद्दे पर सरकार द्वारा दी जा रही कोई दलील सुनने को तैयार नहीं हैं।

बाकी की रहती कसर जी.एस.टी. लागू होने पर बिजली के बिलों के साथ लगने वाली चुंगी बंद होने के कारण निगम को हो रहे नुक्सान की भरपाई करने के नाम पर 2 फीसदी म्युनिसिपल चार्जिस लगाने से पूरी हो गई। इसका असर यह है कि जो उद्यमी या व्यापारी अब तक मोदी को कोसते हुए कांग्रेस की तरफ रुख करने लगा था, उनके कदम फिलहाल रुक गए हैं।इसके संकेत गत दिवस उद्यमियों के शिष्टमंडल द्वारा सांसद रवनीत बिट्टू व विधायक भारत भूषण आशु को ज्ञापन सौंपते समय मिल गए हैं। जब उद्यमियों ने साफ कह दिया कि कारोबार ठप्प होने के दौर में राहत देने की जगह बिजली दरों का बोझ बढ़ाने संबंधी फैसला वापस न हुआ तो उन्हें कांग्रेस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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