Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2017 09:35 AM
पंजाब की मौजूदा कांग्रेस सरकार की तरफ से अपने समय की माइनिंग की दूसरी बोली की है, परंतु पहली बोली की तरह यह दूसरी बोली भी सीधे
चंडीगड़ (ब्यूरो) : पंजाब की मौजूदा कांग्रेस सरकार की तरफ से अपने समय की माइनिंग की दूसरी बोली की है, परंतु पहली बोली की तरह यह दूसरी बोली भी सीधे तौर पर सूबे में नजाइज़ माइनिंग माफिया को काबिज करवाने की योजना है और सरकार ने पहली बोली में माफीयाओं के हुए कब्जे से सबक ले कर दूसरे बोली के लिए भी कोई सुधार नहीं किया है।
आम आदमी पार्टी के नेता और आर.टी.आई. एक्टिविस्ट एडवोकेट दिनेश चढ्डा ने बताया कि बीते दिन सरकार ने 43 खड्ढों की बोली की है जिनमें से कुल 29 लाख टन रेता-बजरी निकलना है। यह 29 लाख टन रेत बजरी सरकार ने 206 करोड़ रुपए में बेचा है। इस तरह सरकार ने 710 रुपए प्रति टन रेत बजरी बेचा है। जिस पर 20 रुपए प्रति टन डिस्ट्रीक मिनरल फांउडेशन फंड, 60 रुपए प्रति टन रोयलीटी और 6 रुपए प्रति टन एनवायरमैंट मैनेजमेंट फंड ठेकेदार ने अलग से अदा करना है। जबकि कच्चे माल से क्रैशर के द्वारा रेत बजरी तैयार करने का खर्च लगभग 125 रुपए प्रति टन आता है। इस तरह कुल मिला कर ठेकेदार को यह रेता बजरी 921 रुपए प्रति टन पड़ेगा।
रेता बजरी ले कर जाने वाले एक टिपर में 30 टन मटीरियल आता है, इस तरह 30 टन वाला यह टिपर ठेकेदार को 27 हजार 630 रुपए में पड़ेगा जबकि टिपर का करैशरों से नजदीकी शहरों तक का किराया लगभग 10-12 हजार रुपए है। इस तरह इस रेता बजरी के टिपर की कीमत लगभग 40 हजार रुपए बन जाती है। पंजाब सरकार को चाहिए कि इस लोक विरोधी और कुदरत विरोधी बोली को तुरंत रद्द करके लोग समर्थकी और कुदरत समर्थकी नई नीति बना कर रेता बजरी बेचे। नैशनल ग्रीन ट्रिब्युनल को इन आंकड़ों के आधार पर दखल दे कर इस बोली को रद्द करना चाहिए।