लुधियाना हादसे ने उजाड़ी पिता की दुनिया, रूंधे गले से बोला- 'बेटे की लाश ही दे दो'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 12:38 PM

ludhiana factory collapse

सूफियां वाला चौक के पास प्लास्टिक की फैक्टरी में हुए धमाके के बाद कर्इ घरो में मातम छा गया और शहर में हाहाकार मच गर्इ। हादसे के 3 दिन गुजर जाने के बाद भी फायर कर्मचारी मलबे के नीचे फंसे हुए है।

लुधियाना (मुकेश): सूफियां वाला चौक के पास प्लास्टिक की फैक्टरी में हुए धमाके के बाद कर्इ घरो में मातम छा गया और शहर में हाहाकार मच गर्इ। हादसे के 3 दिन गुजर जाने के बाद भी फायर कर्मचारी मलबे के नीचे फंसे हुए है।

PunjabKesariशव ही दे दो साढे मुंडे दा 
फायरकर्मी सुखदेव सिंह के पिता प्रकाश सिंह का रो-रो कर बुरा हाल है, वह चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि अगर उनका बेटा नहीं बच पाया है तो कम-से-कम उसका शव तो उन्हें दे दो ताकि अपने बच्चे को एक बार दिल भर के देख तो लें। पिता ने बताया कि सुखदेव सिंह की 3 लड़कियां हैं, बड़ी लड़की किरणदीप (8), खुशप्रीत (5) और सबसे छोटी बेटी मनजोत आज 1 महीने की हुई है। पत्नी कमलेश कौर घर में अपने पति के आने का इंतजार कर रही है, उसे बताया गया है कि सुखदेव ठीक है और अस्पताल में उपचाराधीन है। 

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हर रोज सुबह आते हैं नई उम्मीद के साथ
हर रोज सुबह आंखों में एक नई उम्मीद लेकर आते हैं कि शायद आज पापा का कुछ पता चल सके, लेकिन अंधेरा होने पर निराश लौटना पड़ रहा है। उपरोक्त शब्द कहे फायरकर्मी मनोहर लाल की बेटी तमन्ना हंस ने। पंजाब केसरी से विशेष बातचीत दौरान तमन्ना ने कहा कि सोमवार सुबह पापा घर से काम पर गए थे, दोपहर 2 बजे पता चला कि बड़ा हादसा हो गया है। तभी फोन किया तो पापा के साथ नौकरी करने वाले एक अंकल ने फोन उठाया और कहा कि पापा बिल्डिंग के अंदर थे। तब वह अपने छोटे भाई नवन हंस और मां निशा रानी के साथ यहां पहुंच गई, लेकिन 3 दिन गुजर जाने पर भी उन्हें कुछ पता नहीं चल रहा। सुबह तीनों 8 बजे घर से आकर पास बने पार्क में बैठ जाते हैं और रात 11 बजे वापस लौट जाते हैं। 

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