Edited By Updated: 23 Jan, 2017 08:32 AM
रशियन रेलवे की सहायता से भारतीय रेलवे अब गतिमान एक्सप्रैस से भी तेज स्पीड की ट्रेनें चलाने की योजना पर काम कर रहा है।
जालंधर (गुलशन): रशियन रेलवे की सहायता से भारतीय रेलवे अब गतिमान एक्सप्रैस से भी तेज स्पीड की ट्रेनें चलाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए दोनों देशों की सरकारों का आपस में अनुबंध हुआ है। रशियन रेलवे द्वारा भारत में ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने की संभावना के लिए सबसे पहले से नागपुर-सिकंदराबाद जैसे 575 किलोमीटर लंबे रूट पर सर्वे किया जाएगा। इसके लिए आर.जैड.डी. इंटरनैशनल नामक इंजीनियर कम्पनी जोकि रशियन रेलवे के साथ काम करती है को जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि भारत में ट्रेनों की स्पीड 120 किलोमीटर से बढ़ाकर 200 किलोमीटर तक की जा सके। रेलवे सूत्रों के मुताबिक ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए इंगलैंड, जापान, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों की सहमति से ट्रेनों को अपग्रेड करने पर काम किया जाता रहा है लेकिन भारतीय रेल सैक्टर में रशिया से पहली बार सहयोग लिया जा रहा है। साल 2014 में रेल विभाग ने दिल्ली-चंडीगढ़, चेन्नई-हैदराबाद, दिल्ली-लखनऊ-वाराणसी जैसे देश के 9 चुनिंदा रूटों पर गतिमान जैसी सैमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की घोषणा की थी। गौर हो कि गतिमान एक्सप्रैस की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा है। पिछले साल अक्तूबर में दोनों देशों में हुए एक समझौते के बाद दोनों देशों द्वारा रेलवे सैक्टर के मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है।
इस दौरान नागपुर-बालरशाह और बालरशाह -सिकंदराबाद रेल सैक्शन में 61 किलोमीटर के दौरान 1770 ब्रिज और 18 बड़े पुल हैं जिनकी लम्बाई 100 मीटर से भी ज्यादा है। यहां पर ट्रेनों की स्पीड कम हो जाती है। जांच में पता चला है कि इनकी फाऊंडेशन काफी कमजोर है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने से पहले यहां जमीनी स्तर पर सुधार करने की जरूरत है। इसके अलावा दूरसंचार सिस्टम को भी अपग्रेड करने की जरूरत है। रशियन रेलवे का कहना है कि भारत में चल रही ट्रेनों में सिग्नल डिवाइस लगाने की भी जरूरत है। उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे अभी तक 200 किलोमीटर की स्पीड से चलने वाले कोच बनाने में सक्षम नहीं है।