Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 07:52 AM
रूह कंपा देने वाली ठंड में लोग घरों के अंदर बसर करते हैं लेकिन यह सर्दी गरीबों के लिए मौत का फरिश्ता बनने में अपनी कोई कसर नहीं छोड़ती है, वहीं ऐसे लोगों के लिए चुनावी मौसम में रैन बसेरा के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले.....
फिरोजपुर (आनंद): रूह कंपा देने वाली ठंड में लोग घरों के अंदर बसर करते हैं लेकिन यह सर्दी गरीबों के लिए मौत का फरिश्ता बनने में अपनी कोई कसर नहीं छोड़ती है, वहीं ऐसे लोगों के लिए चुनावी मौसम में रैन बसेरा के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले नेताओं को ऐसे गरीबों का दर्द दिखाई नहीं पड़ता है और सिर ढकने के लिए कोई छत नहीं होने पर रेलवे प्लेटफार्म को ही अपना घर बना लेते हैं और यहां आकर ही अपना जीवन बसर करते हैं लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आता है।
वहीं, कुछ लोग तो ऐसे हैं जो भीख मांग कर गुजारा करके रेलवे स्टेशन को ही अब अपना घर समझते हैं। वे लोग दिनभर मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं के बाहर आने-जाने वाले लोगों के आगे हाथ फैलाकर भीख मांगते हैं और उनका स्थायी आशियाना नहीं होने की वजह से ऐसे लोगों की जिंदगी की गाड़ी रेलवे प्लेटफार्म पर ही आकर रुकती है और अपनी रात गुजारने के बाद वे लोग अगले दिन फिर से काम पर चले जाते हैं।
मदद को नहीं बढ़ाता कोई हाथ
शरीर को कंपा देने वाली ठंड के दौरान भी ये लोग आम लोगों की ओर से दिए गए कुछ ही मैले-कुचैले गर्म कपड़ों और फटे-पुराने कंबलों में ही सर्दी की रात गुजारते हैं लेकिन इतनी ठंड में मदद के लिए कोई हाथ इनकी ओर नहीं बढ़ाता है। पिछले 11 वर्षों से प्लेटफार्म पर ठहरने वाली गीता, निर्मला, अनरवा देवी, राधा तथा लक्ष्मी देवी आदि का कहना है कि उन्हें तो लोगों की बजाय रेलवे प्लेटफार्म का ही सहारा है और ठंड, बारिश जैसे हालातों में वे यहीं पर आकर रुकती हैं लेकिन कई बार हालत यहां पर भी खराब हो जाती है।
तीन सालों से प्लेटफार्म पर सोने वाले लोगों को खिला रहे खाना
जहां कुछ लोग अपनी वर्दी का रौब दिखाकर इन्हें डरा-धमका कर प्लेटफार्म से बाहर निकाल देते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसे लोगों के लिए खाने का बंदोबस्त करते हैं, वह भी किसी नेता या किसी संस्था के दिए पैसों से नहीं बल्कि ये लोग खुद और आस-पास के घरों से खाना बनाकर लाते हैं और ऐसे गरीबों में बांट देते हैं। गरीबों को खाना खिलाने वाले सरदार कालोनी निवासी जसपाल सिंह बताते हैं कि उनका यह काम पिछले 3 सालों से निरंतर चल रहा है और इस मुहिम से अब तो उनके इलाके के अन्य घर भी जुड़ गए हैं और वे हर घर से रोटियां और दाल, सब्जी लेकर आते हैं व यहां आकर बांट देते हैं।
अधिकारियों के आने पर पुलिस वाले करते हैं परेशान
फिरोजपुर छावनी रेलवे स्टेशन के बाहर ही अपना जीवन निर्वाह करने वाले लोग बताते हैं कि ज्यादा ठंड और बारिश की वजह से जब सिर छिपाने के लिए प्लेटफार्म पर जाते हैं तो अधिकारियों की आवभगत में लगे कुछ पुलिस वाले उन्हें ठंड और बारिश के बावजूद रेलवे प्लेटफार्म से बाहर निकाल देते हैं जिसकी वजह से प्लेटफार्म से बाहर आकर वे चूल्हा बनाकर बनाए खाने से अपनी पेट की आग ठंडी करते हैं।
हर साल होती हैं सर्दी से मौतें
ज्यादा सर्दी पडऩे पर छत नहीं होने से ऐसे कई लोग मौत के आगोश मे समा जाते हैं। प्लेटफार्मों पर ही ठंड की वजह से मरने वालों के आंकड़ों का ग्राफ बहुत ज्यादा बढ़ चुका है।