Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Sep, 2017 02:01 PM
गुरदासपुर लोकसभा हलका के उपचुनाव संबंधी आज स्थिति यह है कि बारातियों ने तो नाचना भी शुरू कर दिया है परंतु अभी तक राजनीतिक दल कांग्रेस, भाजपा के दूल्हों का कुछ पता नहीं है।
गुरदासपुर(विनोद): गुरदासपुर लोकसभा हलका के उपचुनाव संबंधी आज स्थिति यह है कि बारातियों ने तो नाचना भी शुरू कर दिया है परंतु अभी तक राजनीतिक दल कांग्रेस, भाजपा के दूल्हों का कुछ पता नहीं है। वहीं आप ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस सीट पर आप द्वारा रिटायर्ड जनरल सुरेश खजुरिया को चुनाव में उतार दिया है।
क्या स्थिति है कांग्रेस पार्टी की
गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा-अकाली दल के लिए प्रतिष्ठा की जंग होगा। चुनाव में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़, भाजपा के प्रदेश प्रधान विजय सांपला और अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की साख दाव पर होगी। आम आदमी पार्टी के पास इस चुनाव में खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है। 11 मार्च को कांग्रेस ने पंजाब के इतिहास में नया अध्याय लिखा था जब 10 साल बाद कांग्रेस फिर पंजाब में सत्तारूढ़ हुई।
पार्टी ने 77 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की। अब गुरदासपुर उपचुनाव सीधे रूप से कांग्रेस सरकार के लिए अग्निपरीक्षा साबित होगा। 7 माह के कार्यकाल दौरान कैप्टन सरकार ने जो कार्य किए हैं, उसका आम जनता पर क्या असर पड़ा, जनता ने उनकी सरकार पर कितना विश्वास किया यह अक्तूबर में देखने को मिलेगा जब लोकसभा उपचुनाव के नतीजे आएंगे।
गुरदासपुर जिले से 2 मंत्री तृप्त राजिंद्र सिंह व अरुणा चौधरी लिए गए हैं। क्षेत्र की 9 में से 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।
उपचुनाव के परिणाम सीधे रूप से कैप्टन की साख पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। कांग्रेस जीतती है तो सरकार के समक्ष यह कहने को होगा कि लोगों ने केवल क्षणिक रूप से कांग्रेस पर भरोसा नहीं जताया, बल्कि उनका कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पर विश्वास है। अगर परिणाम नकारात्मक आए तो विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल जाएगा।
क्या स्थिति है भाजपा-अकाली गठबंधन की
विधानसभा चुनाव में पंजाब के मतदाताओं ने अकाली दल-भाजपा गठबंधन को ऐसा झटका दिया, जो कम से कम अकाली दल तो कभी नहीं भूल पाएगा। पंजाब के इतिहास में यह पहला ऐसा मौका था जब अकाली दल को विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिला। अकाली दल के मात्र 15 सदस्य ही विधानसभा में पहुंचे। भाजपा भी 12 से 3 सीटों तक सिमट गई। भाजपा के प्रदेश प्रधान विजय सांपला और अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल के लिए तो यह चुनाव बहुत ही महत्व रखता है। विधानसभा चुनाव इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में लड़ा गया था और उपचुनाव भी इन्हीं दोनों के नेतृत्व में लड़ा जाना है।
विधानसभा चुनाव में मिली शर्मनाक हार के बाद तो ऐसा लगा था कि विजय सांपला की प्रधानगी भी जा रही है। ऐसे में अगर भाजपा गुरदासपुर उपचुनाव जीतती है तो उसके पास कहने को होगा कि महज 7 माह में कांग्रेस का तिलिस्म तोड़ दिया गया। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दोनों ही पाॢटयों की मुश्किलें बढ़ेंगी। भाजपा के स्वर्ण सलारिया, विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना, मास्टर मोहन लाल, अश्विनी शर्मा, जगदीश साहनी भी भाजपा की टिकट प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं, परंतु भाजपा भी इस संबंधी किसी निर्णय तक अभी नहीं पहुंची है। कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार फिर किसी बड़े सिने कलाकार को चुनाव मैदान में उतारने के मूड में है, परंतु अभी कुछ कहना कठिन है कि कौन- सा सिने कलाकार भाजपा का दामन थामेगा।
जिला प्रशासन ने आदर्श चुनाव आचार-संहिता की पालना शुरू की
आज जिला प्रशासन ने हलके में लगे सभी राजनीतिक दलों या जिन होर्डिग्ज पर किसी राजनीतिक नेता का फोटो है, को उतारने का काम शुरू किया। गुरदासपुर शहर में तो दशहरा कमेटी के होॢडग, जिन पर स्थानीय विधायक बरिन्दर पाहड़ा के फोटो थे, भी उतार दिए। इस तरह लोकसभा हलके के अन्य शहरों में भी यह काम शुरू हो चुका है। चुनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी नागरिकों को अपने-अपने लाइसैंसी शस्त्र जमा करवाने का आदेश जारी किया । हर चुनाव की तरह इस लोकसभा उपचुनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने हलके के सभी लाइसैंसी शस्त्रधारकों को आदेश दिया है कि वे अपने-अपने शस्त्र नजदीकी पुलिस स्टेशनों में जमा करवाएं। चुनाव में किसी तरह का दंगा-फसाद न हो, इस लक्ष्य को मुख्य रखते हुए यह आदेश जारी किया गया है।
कानून-व्यवस्था बनाए रखना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी
गुरदासपुर लोकसभा हलका पूरा का पूरा ही पाकिस्तान की सीमा के साथ लगता है, जबकि जम्मू-कश्मीर की सीमा तथा हिमाचल प्रदेश की सीमा भी इस हलके के साथ लगती है, परंतु इस पूरे ही जिले की सीमा पाकिस्तान के साथ लगी होने कारण यह चुनाव जिला प्रशासन के लिए भी एक चुनौती होगा। पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. तथा पाकिस्तान में शरण लिए बैठे खालिस्तान समर्थक इस चुनाव पर नजर रखे हुए हैं, जो किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं इसलिए जिला प्रशासन को स्थानीय समाज विरोधी तत्वों के साथ-साथ जिला गुरदासपुर के साथ लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भी नजर रखनी होगी।
कांग्रेस को प्रताप बाजवा गुट का भी सामना करना पड़ सकता है
दूसरी ओर लोकसभा हलका गुरदासपुर में इस समय पार्टी टिकट को लेकर कांग्रेसी विधायक भी 2 खेमों में बंटे दिखाई देते हैं। इस समय कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिन्द्र सिंह बाजवा, अरुणा चौधरी तथा विधायक सुखजिन्द्र सिंह रंधावा तो पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ को टिकट देने के पक्ष में हैं जबकि कादियां के विधायक फतेह सिंह बाजवा, श्री हरगोबिन्दपुर के बलविंद्र लाडी, भोआ के विधायक जोगिन्द्र पाल तथा पठानकोट के अमित विज राज्यसभा मैंबर प्रताप बाजवा की पत्नी चरणजीत कौर बाजवा को टिकट देने के पक्ष में हैं। स्वयं प्रताप बाजवा भी स्थानीय नेता को लोकसभा टिकट देने की बात कह कर अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के लिए कोशिश कर रहे हैं।
कई अकाली नेता भूमिगत भाजपा उम्मीदवार के प्रचार से भी रहेंगे दूर
गत दिनों गुरुद्वारा घल्लूघारा काहनूवान में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के एक पदाधिकारी के एक महिला के साथ आपत्तिजनक अवस्था में पकड़े जाने से पैदा हुए विवाद के चलते कमेटी पदाधिकारियों के बीच पैदा हुए टकराव के कारण अकाली दल के जिला प्रधान सुच्चा सिंह लंगाह, पूर्व कैबिनेट मंत्री सेवा सिंह सेखवां सहित 250 से अधिक अकाली वर्करों के खिलाफ तिब्बड़ तथा भैणी मियां खान पुलिस स्टेशनों में केस दर्ज हुए थे।
इन दर्ज केसों में इन नेताओं की अग्रिम जमानत अदालत द्वारा रद्द कर दिए जाने के कारण ये सभी नेता भूमिगत हो गए हैं। इस कारण ये नेता भाजपा के चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। सुच्चा सिंह लंगाह तथा सेवा सिंह सेखवां दोनों ही वरिष्ठ अकाली नेता हैं। इलाके में इनका काफी प्रभाव है। आम आदमी पार्टी के माझा जोन के इंचार्ज तथा कादियां विधानसभा हलका से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके कंवलप्रीत सिंह काकी के विरुद्ध भी इन्ही धाराओं अधीन केस दर्ज है। उसकी अग्रिम जमानत याचिका भी रद्द होने कारण वह भी भूमिगत है।