Edited By Updated: 07 Dec, 2016 10:28 AM
नोटबंदी को लागू किए एक माह पूरा होने वाला है, लेकिन हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि बैंक अधिकारी कैश वितरण के मामले में मनमानी करने लगे हैं। लोगों को अपने ही बैंक खातों से अपना ही...
अमृतसर (नीरज): नोटबंदी को लागू किए एक माह पूरा होने वाला है, लेकिन हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि बैंक अधिकारी कैश वितरण के मामले में मनमानी करने लगे हैं। लोगों को अपने ही बैंक खातों से अपना ही रुपया नहीं दिया जा रहा है। जगह-जगह पर सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन हो रहे हैं। जनता का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है।
जिला प्रशासन भी नोटबंदी के मामले में कुम्भकर्णी नींद सोया हुआ है। न तो बैंक अधिकारियों के साथ डी.सी. मीटिंग कर रहे हैं और न ही किसी प्रकार की चैकिंग करवाई जा रही है, जिससे बैंकों से पूछताछ करने वाला कोई नहीं बचा है। घटिया प्रशासनिक प्रबंधों के चलते हालात और ज्यादा बिगड़ते जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार ज्यादातर बैंकों में सुबह 11 बजे ही कैश खत्म हो जाता है। बैंक अधिकारी अपनी मर्जी से कैश बांट रहे हैं आर.बी.आई. के निर्देश हैं कि खाताधारक हर सप्ताह 24 हजार तक निकाल सकता है, लेकिन यहां तो किसी को 2 हजार तो किसी को 6 हजार, कोई ऊंची पहुंच वाला या फिर बैंक अधिकारी का चहेता आ गया तो उसको 24 हजार भी मिल जाता है।
रात के समय में भी लोग ए.टी.एम. में यह उम्मीद लेकर जाते हैं कि शायद कुछ कैश निकल आए, लेकिन ए.टी.एम. भी खाली पड़े हैं। नो कैश के साइन बोर्ड ज्यादातर बैंकों के बाहर टंगे दिखाई देते हैं। बैंक अधिकारियों से जब इस बाबत बात की जाती है तो उनका कहना है कि उनको पीछे से ही कैश नहीं मिल रहा है। पीछे से कैश कम आता है और कैश लेने वाले ग्राहक ज्यादा हैं वे भी क्या करें।