केजरीवाल की मांग को कैप्टन ने किया खारिज,कहा केंद्र सरकार निकाल सकती है हल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 10:40 AM

capt amarinder to kejriwal centre alone can help check stubble burning

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर होता देख मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को हरियाणा और पंजाब के अपने समकक्षों के साथ बैठक की अपील की

चंडीगढ़ः दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर होता देख मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को हरियाणा और पंजाब के अपने समकक्षों के साथ बैठक की अपील की। केजरीवाल ने इस खतरे से निपटने के लिए संयुक्त कार्रवाई का आह्वान करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि सरकारें फसलों के अवशेष जलाने के अलावा कोई आर्थिक सुझाव मुहैया कराने में नाकाम रही हैं। जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की आबोहवा बिगड़ती जा रही है। 

 

केजरीवाल ने मामले को सुलझाने की जरूरत पर जोर दिया और जल्द ही भविष्य में चर्चा के लिए एक बैठक का अनुरोध किया। केजरीवाल ने पत्र में लिखा, “आप दिल्ली की वायु गुणवत्ता की खराब हालत से परिचित होंगे..जिसके मुख्य कारणों में से एक साल के इस हिस्से के दौरान पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में फसलों के अवशेष जलाना है।” हालां‍कि अमरेंद्र सिंह ने बैठक से इनकार कर दिया। टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सिंह ने कहा कि मुख्‍यमंत्रियों के बीच बातचीत का कोई मतलब नहीं निकलेगा क्‍योंकि केंद्र को अंतर-राज्‍य प्रभाव को ध्‍यान में रखते हुए मामले को सुलझाना होगा।

 

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा स्मॉग तथा बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उत्तरी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग को खारिज करते हुए कहा है कि स्थिति इतनी गंभीर बन चुकी है कि केवल केंद्र सरकार ही इस मसले का हल निकाल सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार को तुरंत किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए मुआवजा देना चाहिए। 

 

उन्होंने कहा अगर केंद्र दखल नहीं देता है तो स्थिति और गंभीर बन जाएगी। उन्होंने कहा कि वह पिछले एक वर्ष से केंद्र को इस समस्या का हल निकालने के लिए कह रहे हैं परंतु कोई कदम केंद्रीय स्तर पर नहीं उठाया गया। केंद्र सरकार को किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर 100 रुपए प्रति किं्वटल बोनस देना चाहिए ताकि वे पराली प्रबंधन की तरफ देख सकें। पंजाब इस मामले में कुछ करने में समर्थ नहीं क्योंकि किसानों को वित्तीय मदद केंद्र सरकार के सहयोग के बिना नहीं दी जा सकती। 

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