Edited By Updated: 04 Jan, 2017 02:04 AM
पंजाब विधानसभा चुनावों में भले ही अकाली दल ‘पॉलीटिकल हैट्रिक’ मा....
जालंधर(इलैक्शन डैस्क): पंजाब विधानसभा चुनावों में भले ही अकाली दल ‘पॉलीटिकल हैट्रिक’ मारने को लेकर आश्वस्त है, मगर सत्तासीन सरकार की यह ‘हैट्रिक’ भाजपा की परफॉर्मैंस पर ज्यादा टिकी है।
अकाली दल भाजपा की अंदरूनी राजनीति की तरफ गंभीरता से नजरें गड़ाए हुए है और गठबंधन की जीत को लेकर आपसी समन्वय स्थापित करने की भरपूर कोशिशें की जा रही हैं। 2002 के चुनावों के बाद से ही अकाली दल और कांग्रेस के बीच लड़ाई ‘नैक टू नैक’ रही है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की परफॉर्मैंस हर बार डगमगाई है। 2002 के चुनावों में पार्टी 31.82 फीसदी वोट शेयर के साथ महज 3 सीटों पर सिमट गई। इससे गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही।
भाजपा ने 2007 में वोट प्रतिशत में 46.75 फीसदी का अप्रत्याशित सुधार किया और पार्टी ने 19 सीटों पर कब्जा जमाकर अकाली-भाजपा सरकार बनाने में सफलता हासिल की। हालांकि भाजपा 2012 के वि.स. चुनावों में अपनी परफॉर्मैंस कायम नहीं रख पाई और पार्टी के वोट शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई। इन चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत 39.72 फीसदी तक नीचे लुढ़क गया और पार्टी को महज 12 सीटों पर जीत हासिल हुई।
19 से 12 सीटों पर आकर सिमटी पार्टी में 2012 के बाद से ही आंतरिक कलह शुरू हो गई। भाजपा के पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी अपने प्रदर्शन को स्थिर रखने में नाकामयाब रही है, लिहाजा इस वजह से गठबंधन के बीच मतभेद भी उभरे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता की हैट्रिक लगाने को लेकर पार्टी तैयार है और किसी भी सूरत में पार्टी प्रदर्शन में निरंतर सुधार किया जाएगा। उधर, अकाली दल के नेताओं का कहना है कि साथ लड़े बीते 3 चुनावों में अकाली दल के वोट शेयर में कोई ज्यादा अंतर नहीं देखा गया है। अकाली दल अपने वोट शेयर पर स्थिर है। लिहाजा, तीसरी बार गठजोड़ की सरकार बनाने में भाजपा की परफॉर्मैंस अहम भूमिका अदा करेगी।
चुनावों की फैक्ट फाइल
2002 के चुनाव
पार्टी सीटें
कांग्रेस 62
अकाली दल 41
भाजपा 3
2007 के चुनाव
कांग्रेस 48
अकाली दल 44
भाजपा 19
2012 के चुनाव
अकाली दल 56
कांग्रेस 46
भाजपा 12