विधानसभा हलका भोआ (आरक्षित): लोगों को हर समय रहता है विस्थापित होने का खौफ

Edited By Updated: 16 Dec, 2016 03:30 PM

bhoa assembly constituency reserved

पठानकोट जिला राज्य का जिस प्रकार नवसृजित जिला है, उसी प्रकार इसके अधीन आते तीन निर्वाचण क्षेत्रों में एक मात्र आरक्षित हलका भोआ भी चुनावी नक्शे पर नवसृजित हलका है

पठानकोट (शारदा): पठानकोट जिला राज्य का जिस प्रकार नवसृजित जिला है, उसी प्रकार इसके अधीन आते तीन निर्वाचण क्षेत्रों में एक मात्र आरक्षित हलका भोआ भी चुनावी नक्शे पर नवसृजित हलका है जिसका अधिकांश भाग देहाती व काफी सीमांत क्षेत्र भी है जो कि भारत-पाक के बीच गुजरने वाली अंतर्राष्ट्रीय सरहद से सटा है। दलित बहुल संख्या वाला भोआ हलका होने के कारण इसके चुनावी समीकरण अक्सर बदलते रहते हैं। वर्ष 2007 के वि.स. चुनावों के समान ही पिछले 2012 में हुए चुनावों में भी इस जिले में भाजपा ने रिपीट सैरेमनी मनाई थी। पठानकोट, सुजानपुर सामान्य हलकों समान ही इस आरक्षित सीट से भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। मौजूदा समय में इस हलके का प्रतिनिधित्व महिला शक्ति के रूप में सीमा कुमारी कर रही। 

मुख्य मुद्दा
यह हिंदू विशेषकर दलित बहुल देहाती सीट है। जिसका काफी भाग सरहद से भी सटा है। सीमांत क्षेत्रों में बहने वाले तरनाह दरिया पर पक्के पुल की मांग पिछले लम्बे समय से बनी हुई है। बरसात के दिनों में इस पर स्थापित पैंटुन पुल हटा दिया जाता है जिससे दरिया पार का क्षेत्र शेष पंजाब से कटकर रह जाता है। पिछले दिनों पी.ओ.के. में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत-पाक के बीच जंग जैसे बने हालातों के बीच सीमा से सटे करीब 4 दर्जन गांवों की जनता को विस्थापित होकर राहत शिविर में आ पड़ा था। सीमांत जनता की यह समस्या पिछले कई दशकों से बनी हुई है। सीमा पर तनाव उत्पन्न होते ही इस इलाके की जनता को अपने घर व मवेशी छोड़कर दूरस्थ स्थानों पर राहत शिविरों में तनाव वाला समय विषमताओं से जूझते हुए गुजारा पड़ता है। सीमा से सटे खेतों में किसानों के खून-पसीने से बोई हुई व बच्चों समान पाली हुई फसल को बिना काटे सुरक्षा के चलते वहीं राम भरोसे छोड़ना पड़ता है।

दावों की हकीकत
विधायक सीमा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भोआ हलके के हर ब्लॉक में खेल स्टेडियम बनाने का दावा किया था जो सौ फीसदी सिरे नहीं चढ़ सका। रावी पार के सीमांत क्षेत्र की युवा पीढ़ी आज भी स्टेडियम बनने की बाट जोह रही है। वहीं जीरो लाइन पर बसे गांव सिम्बल-स्कोल को जोडऩे वाले तरनाह दरिया पर पक्का पुल बनाने का दावा किया था जो पौने पांच वर्षों बाद भी वफा नहीं हो सका। 

क्रशर इंडस्ट्री के अधिपत्य के कारण ओवर-लोडिंग की समस्या
भोआ हलके में खड्डों व दरियाओं की अधिकता के चलते यहां पर भारी संख्या में क्रशर इंडस्ट्री स्थापित है। रेता-बजरी जैसे खनिज पदार्थों का गढ़ होने के कारण प्रतिदिन इस क्षेत्र से सैंकड़ों की संख्या में दिन-रात ओवरलोडिड ट्रक व ट्राले इस क्षेत्र के मुख्य व लिंक मार्गों से होकर गुजरते हैं जो कि यहां सडक़ हादसों का कारण बनते हैं वहीं ग्रामीण जनता के लिए भी परेशानी का सबब बने हुए हैं। ओवरलोडिड वाहनों के कारण कई हादसे क्षेत्र में हो चुके हैं। ओवर-लोडिंग की समस्या को लेकर मौजूदा विधायक सीमा कुमारी ने खुद आंदोलन की अगुवाई करते हुए अपनी ही सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोला था जिसकी गूंज राजनीतिक गलियारों में गूंजी थी।

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