मासूम ‘दीया’ के पक्ष में 20 लाख की कुर्की के आदेश के पालन में बाधाएं उत्पन्न करने वाला अधिकारी तलब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Dec, 2017 11:44 AM

amritsar news

करीब साढ़े 6 वर्ष पहले बिजली की हाई टैंशन वायर की लपेट में आकर शरीर में आए कई जख्मों सहित उसका दाहिना हाथ भी बुरी तरह से झुलस गया था।

अमृतसर (महेन्द्र): करीब साढ़े 6 वर्ष पहले बिजली की हाई टैंशन वायर की लपेट में आकर शरीर में आए कई जख्मों सहित उसका दाहिना हाथ भी बुरी तरह से झुलस गया था। पीड़ित बच्ची तथा उसके पिता द्वारा दायर किए गए मुआवजे के मामले में लोअर कोर्ट द्वारा 10 लाख तो सैशन कोर्ट ने 20 लाख रुपए की मुआवजा राशि पारित की थी। इसके चलते स्थानीय सिविल जज एकता सहोता की अदालत ने पावरकॉम विभाग के स्थानीय सिटी सर्कल के कई महत्वपूर्ण सामान की कुर्की के आदेश जारी कर रखे थे। 
इसकी लिखित तौर पर बिना कोई कारण बताए कुर्की आदेश वापस लौटाए जाने पर अदालत ने इसे अदालत के आदेश की अवमानना मानते हुए संबंधित अधिकारी को दोबारा नए सिरे से नोटिस जारी कर उससे सवाल किया है कि अदालती आदेश की अवमानना करने के आरोप में उसके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए? इस संबंध में अदालत ने संबंधित अधिकारी को 19 जनवरी को अदालत में पेश हो कर अपना पक्ष रखने को भी कहा है। 


हाईटैंशन वायर की चपेट से 55 फीसदी झुलस गई थी ‘दीया’
न्यू प्रीत नगर, बटाला रोड निवासी मासूम बच्ची दीया पुत्री रमन कुमार ने अपने पिता रमन कुमार के जरिए 24-2-2014 को पावर काम के पटियाला स्थित चेयरमैन, बटाला रोड सब-डिवीजन के एस.डी.ओ. तथा एक्स.ई.एन. के खिलाफ पटीशन दायर की थी। इसमें कहा गया था कि 2 जुलाई 2011 को 3 वर्षीय मासूम बच्ची दीया घर की छत पर खेल रही थी। इस दौरान उनके घर की छत से थोड़ी-सी दूरी पर 11000 वोल्टेज वाली हाईटैंशन वायर की लपेट में आ जाने से 55 फीसदी झुलस गई थी। इस दौरान करंट उसके शरीर में इस तरह से दाखिल हो गया था कि उसके पांवों व हाथों के साथ-साथ पेट की चमड़ी में सुराख भी हो गए थे और उसका दाहिना हाथ तो पूरी तरह से जल कर राख हो गया था। उसके दोस्तों द्वारा की गई आॢथक मदद की बदौलत उसकी बेटी दीया के 5 बड़े आप्रेशन हुए थे। दीया व उसके पिता का यह कहना था कि यह हादसा पॉवरकाम की लापरवाही की वजह से हुआ है, क्योंकि इलाका निवासियों द्वारा बार-बार कहे जाने के बावजूद रिहायशी इलाके में मकानों के ऊपर से जा रही हाईटैंशन वायर को हटाया नहीं गया। दीया ने अपनी याचिका में पावर काम से 50 लाख रुपए की मुआवजा राशि दिलवाने की गुहार लगाई थी। 


मुआवजा देने की बजाए पावरकॉम ने विभाग को बताया था निर्दोष
इस मामले की सुनवाई के दौरान पावरकॉम के अधिकारियों का कहना था कि हाईटैंशन वायर पहले से पड़ी हुई है। उसके नीचे निर्माण नहीं करवाया जा सकता है, लेकिन ईलाके में लोगों ने हाईटैंशन वायर होने के बावजूद बाद में मकान बनाए हैं, इसलिए इसके लिए पावर काम जिम्मेदार नहीं है। इस पर दीया की कौंसिल नीलम खन्ना का कहना था कि अगर यह बात है तो पावर काम ने लोगों के घरों में बिजली कनैक्शन कैसे जारी कर दिए थे और जल व सीवरेज विभाग ने उन्हें जल व सीवरेज के कनैक्शन कैसे जारी कर दिए थे?, जबकि होना यह चाहिए था कि पावर काम विभाग को रिहायशी इलाके से हाईटैंशन वायर को हटाना चाहिए था। 

 

हाईकोर्ट में अपील को प्राथमिकता देने की बात कह लौटाए थे कुर्की के आदेश 
स्थानीय सिविल जज एकता सहोता की अदालत ने जहां मासूम बच्ची दीया के पक्ष में 20 लाख रुपए की मुआवजा राशि दिलवाने के लिए पावर काम के स्थानीय सिटी सर्कल ऑफिस के कई प्रकार के सामान की कुर्की के आदेश जारी किए थे, वहीं संंबंधित अधिकारी ने अदालत के बैलफ को जुबानी तौर पर यह कह कर आदेश बैरंग लौटा दिए थे कि स्थानीय अदालत के इस आदेश की बजाए वे हाईकोर्ट में अपील को प्राथमिकता देने तथा हाईकोर्ट के फैसले के  पश्चात ही मुआवजे के मामले में कोई फैसला लेने की बात कही थी, लेकिन किसी भी उच्च अदालत से कुर्की के आदेश के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई स्थगनादेश (स्टे-आर्डर) दिखाने की बजाए इस तरह की जुबानी बात कहे जाने पर अदालत ने इसे अदालत के आदेश की अवमानना मानते हुए संबंधित अधिकारी को दोबारा नोटिस जारी कर उसे अदालत में तलब कर अपना पक्ष रखने को कहा है। 

 

पावर काम को 2 महीने के अंदर मुआवजा राशि देने के दिए थे आदेश
इस मामले की सुनवाई मुकम्मल करने के पश्चात स्थानीय सिविल जज (जूनियर डिवीजन) एकता सहोता की अदालत ने गत वर्ष 11 जुलाई 2016 को जारी किए आदेश में पावर काम को 2 महीने के अंदर-अंदर उसे 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि देने को कहा था, लेकिन पावर काम द्वारा मुआवजा राशि न देने के कारण ‘दीया’ की एग्जीक्यूशन पर अदालत ने दीया को दी जाने वाली 10 लाख रुपए की राशि दिलवाने के लिए पावरकॉम के स्थानीय सैंट्रल सब-डिवीजन सर्कल के सामान की कुर्की करने के आदेश भी जारी करते हुए पावर काम की सैंट्रल सब-डिवीजन कार्यालय में पड़ी मेज-कुर्सियां, पंखे, कूलर, ए.सी., फ्रिज, कम्प्यूटर व लैपटाप आदि कई प्रकार का सामान सूचीबद्ध किया था। 
इसके खिलाफ पॉवरकाम ने लोअर कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जहां सैशन कोर्ट में अपील दायर की थी, वहीं दीया के पिता ने मुआवजा राशि बढ़ाए जाने का अनुरोध करते हुए सैशन कोर्ट में क्रास अपील दायर कर दी थी। स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज शिव मोहन गर्ग की अदालत ने पावरकॉम की अपील को खारिज कर मासूम दीया की अपील मंजूर कर मुआवजा राशि बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दी थी। 

 

पीड़िता के पिता बोले : प्रधानमंत्री मोदी से बची है उम्मीद 
दीया के पिता रमन कुमार ने कहा कि उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अपने किसी दोस्त की ई-मेल के जरिए सारे मामले की जानकारी देते हुए उसकी बेटी की मदद करने की गुहार लगा चुके हैं। रमन ने कहा कि केन्द्र में मोदी सरकार ने जो ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का अभियान शुरू कर रखा है, उनके इस अभियान के तहत वह अपनी बेटी दीया को इतना पढ़ाना लिखाना चाहता है कि वह अपने खोए दाहिने हाथ की ङ्क्षचता न करते हुए भी किसी बड़े मुकाम पर पहुंच सके, लेकिन इसके लिए वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसकी बेटी दीया के लिए कुछ आॢथक मदद करें। 

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