पूरे प्रदेश में बंद होंगे 70 प्रतिशत टाइप-3 सेवा केन्द्र

Edited By Updated: 24 May, 2017 01:18 AM

70 percent type 3 service centers will be closed in the entire state

प्रदेश की पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा पिछले साल पूरे पंजाब में एक ....

जालंधर(अमित): प्रदेश की पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा पिछले साल पूरे पंजाब में एक साथ शुरू किए गए सेवा केन्द्रों के स्टाफ की घटिया कारगुजारी की आ रही शिकायतों और आम जनता की निरंतर बढ़ती जा रही परेशानियों का  कड़ा संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में 70 प्रतिशत टाइप-3 सेवा केन्द्र बंद करने का फैसला लिया है। 

मंगलवार को पूरे प्रदेश के डिप्टी कमिश्नरों के साथ आयोजित वीडियो कांफ्रैंस में पंजाब के चीफ सैक्रेटरी ने इस संबंधी सबको अवगत करवाते हुए आदेश जारी किए। जानकारी के अनुसार समूह डिप्टी कमिश्नरों को कहा गया है कि वह अपने-अपने जिलों में मौजूद टाइप-3 सेवा केन्द्रों में से किस-किस सेवा केन्द्र को बंद करना है और किस जगह पर अतिरिक्त  स्टाफ की आवश्यकता है इसे लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर सौंपें ताकि जल्दी से जल्दी इसको अमलीजामा पहनाया जा सके।

क्या है इतनी बड़ी गिनती में सेवा केन्द्र बंद करने का असली कारण
प्रदेश सरकार द्वारा इतनी बड़ी गिनती में एक साथ टाइप-3 सेवा केन्द्र बंद करने के पीछे जो असली कारण सामने आ रहा है वह है बी.एल.एस. इंटरनैशनल कंपनी के साथ पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा पूरे पंजाब में बनाए गए सेवा केन्द्रों को चलाने को जो एग्रीमैंट हुआ है उसमें शामिल एक क्लॉका (धारा) वी.जी.एफ. (वाईबेलिटी गैप फंडिंग)। क्योंकि इसके कारण आम जनता के खून-पसीने की कमाई के करोड़ों रुपए कभी भी दांव पर लग सकते हैं। 

इसके साथ ही जिस निजी कंपनी बी.एल.एस. को सेवा केन्द्रों का ठेका दिया गया है उसका पहले दिन से ही विवादों के साथ चोली-दामन का साथ बना हुआ है। कंपनी को इस काम का पहले कोई तजुर्बा ही नहींं है और ठेका देते समय कई महत्वपूर्ण बातों को नजरअंदाज किया गया है। इसके अलावा कंपनी के कर्मचारियों पर अलग नाम से सबसिडियरी कंपनी खोलकर वहां आम जनता को जाने के लिए कहने के आरोप भी लग रहे हैं। हालांकि कंपनी की तरफ से इन आरोपों का खंडन किया गया है। इसके साथ ही सीनियर स्तर पर नियुक्त किए गए स्टाफ को भी कामकाज का कोई अनुभव न होने की शिकायतें आती रहती हैं। इसके अलावा पिछले कुछ समय से यह बात तो साफ हो चुकी है कि सेवा केन्द्रों का स्टाफ बिल्कुल अनाड़ी है और उन्हें सरकारी सेवाओं को लेकर कोई खास जानकारी ही नहीं है। 

एस.डी.एम. और तहसीलदारों से मांगी जाएगी रिपोर्ट, व्यवहारिकता देख लिया जाएगा फैसला
हर जिले में बने हुए टाइप-3 सेवा केन्द्रों में से किस-किस सेवा केन्द्र को बंद किया जाएगा और किसको चालू रखा जाएगा, इसे लेकर संबंधित एस.डी.एम्का और तहसीलदारों से रिपोर्ट मांगी जाएगी। इस बात को खास तौर पर ध्यान में रखा जाएगा कि किस सेवा केन्द्र में आस-पास के इलाकों से अधिक लोग आवेदन जमा करवाने के लिए आते हैं या भविष्य में आ सकते हैं। इसके साथ ही जिस सेवा केन्द्र में अधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए अतिरिक्त काऊंटर खोले जाने की जरूरत महसूस होगी वहां निजी कंपनी बी.एल.एस. लिमिटिड को अधिक स्टाफ उपलब्ध करवाने के लिए कहा जाएगा, ताकि जनता को अधिक से अधिक सेवाएं एक ही छत के नीचे सही तरीके से प्रदान की जा सकें।

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