ट्रूडो की डिनर पार्टी में खालिस्तानी आतंकी की मौजूदगी पर हंगामा,कहा हुई चूक?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Feb, 2018 10:26 AM

trudo s dinner party at the ruckus on the presence of khalistani terrorist

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो की डिनर पार्टी में खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल की मौजूदगी पर हंगामा मच गया है। इन सबके बीच सरकार इन तथ्यों का पता लगा रही है

जालंधर (विशेष): कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो की डिनर पार्टी में खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल की मौजूदगी पर हंगामा मच गया है। इन सबके बीच सरकार इन तथ्यों का पता लगा रही है कि दोषी करार दिए गए खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को दोनों देशों के बीच बातचीत के बिना भारत आने का वीजा कैसे मिला। 


यह विवाद तब शुरू हुआ जब कनाडाई उच्चायुक्त नादिर पटेल ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनके प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज के लिए अटवाल को आमंत्रित किया। उच्चायोग ने बाद में कहा कि अटवाल का आमंत्रण रद्द कर दिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि इसके दो पहलू हैं- एक उसकी कार्यक्रम में उपस्थिति को लेकर है, जिस पर कनाडाई पक्ष को गौर करना है। उन्होंने कहा है कि यह चूक थी और इस वजह से आज के रात्रिभोज के लिए आमंत्रण वापस ले लिया गया है। वीजा के बारे में मैं तत्काल नहीं कह सकता कि यह कैसे हुआ। लोगों के भारत में आने के कई तरीके हैं। आप भारतीय नागरिक हैं या ओ.सी.आई. कार्डधारक, हम अपने मिशन से ब्यौरे का पता कर रहे हैं। हमें देखना होगा कि यह कैसे हुआ। अटवाल को 1986 में पंजाब के तत्कालीन मंत्री मलकीत सिंह सिद्धू की वेंकूवर में हत्या का प्रयास करने का दोषी ठहराया गया है। 


भारत में खालिस्तान की जड़ें नहीं और न ही होंगी


जालंधर : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो परिवार सहित बुधवार को श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक हुए। इसके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह के साथ उनकी विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई। मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री ट्रूडो को वांछित 9 आतंकवादियों की सूची सौंपी गई। 
इस बीच प्रधानमंत्री ट्रूडो के फीके स्वागत की खबरें भी चर्चा में रहीं। इसके पीछे कई कारण भी हैं जिनका संबंध खालिस्तान से जुड़ा हुआ है। खालिस्तान के मुद्दे पर सिख जर्नलिस्ट तवलीन सिंह अरूड़ ने प्रधानमंत्री ट्रूडो को खुला पत्र लिखकर कहा है कि भारत में खालिस्तान की जड़ें नहीं हैं और न ही होंगी। साथ ही यह भी कहा है कि जो अलगाववादियों से सांझ करेगा वह देश का दुश्मन है। 


सिख जर्नलिस्ट तवलीन सिंह अरूड़ का लिखा पत्र प्रिय प्रधानमंत्री ट्रूडो
भारत में आपका स्वागत, आपका परिवार बहुत प्यारा है और बच्चे बहुत सुंदर हैं।मैं स्पष्ट तौर पर यह कहना चाहती हूं कि मैं आपके प्रशासन के तौर-तरीकों से खफा हूं, जिसके विश्वास में आपने विश्व को प्रभावशाली नेता के रूप में आकॢषत किया है और विश्व में जिसने विभाजन और मतभेदों की दीवार खड़ी कर रखी है। मैं बहुत संक्षिप्त लिखना चाहती हूं। इन खबरों को देखकर मैं बहुत उदास हुई। आपकी यात्रा के दौरान आपको अधिक महत्व नहीं दिया गया जैसा कि आपके पद को जरूरत थी और जैसा कि उसे दिया जाना चाहिए था। आपका स्वागत वैसा नहीं हुआ जैसा दूसरे राष्ट्र अध्यक्षों का होता है। मैं इन खबरों को लेकर निराश हूं कि आपका खालिस्तानी और सिख प्रतिक्रियावादी ग्रुपों के साथ संबंध है। 

 


मैं खालिस्तानी और सिख विरोधी ग्रुपों से नफरत करती हूं। आपकी उनके साथ मित्रता है। मैं यह समझ सकती हूं कि आप एक ऐसे निर्वाचन क्षेत्र से राजनेता हैं और बहुत बड़े सिख समुदाय के प्रति संबंध बनाना आपकी मजबूरी है जो आपके सुंदर देश में रहते हैं मगर एक सिख ने हमारी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी, जिससे इस देश में सिख विरोधी नरसंहार हुआ जो कि पहले कभी नहीं हुआ था। इस घटना के बाद पंजाब में आतंकवाद का सबसे बदतर दौर रहा है। मैं सिख अलगाववादियों के इस रवैये की ङ्क्षनदा करती हूं। मैं जानती हूं कि आप यह रिकार्ड पर नहीं कह सकते कि कनाडा संगठित भारत का समर्थन करता है मगर इन अलगाववादी ग्रुपों और निजी तौर पर अलगाववाद या आतंकवादियों के साथ किसी तरह के संबंध से बहुत से लोगों की छवि खराब हुई है, जिनमें मैं भी हूं और वास्तव में आपको ऐसी सलाह की जरूरत भी होगी। 

 


आप एक राजनेता हैं और आप वह सब कुछ करेंगे जो आपको देश का नेतृत्व करने, कहने और प्रभावशाली नेता बनाने में सक्षम हो। कई निजी आतंकवादी ग्रुपों के साथ आपकी बैठकों का स्पष्टीकरण भी दिया जा सकता है मगर मुझे यह कहने की अनुमति दी जाए कि भारत में हम में से बहुत इसके लिए जिम्मेदार हैं और लैफ्ट और राइट विचारों की राजनीति के बिना उन लोगों को पूरी तरह से सहन नहीं करेंगे, जिनके आपके देश में रहने वाले लोगों से संबंध हैं। भारत में खालिस्तान की कोई जड़ें नहीं और न ही कभी होंगी। जो लोग इस देश का बंटवारा करने के लिए उन ग्रुपों के साथ मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहते हैं उनको दर्द होगा क्योंकि वे उनके दुश्मन हैं। 

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