Edited By Updated: 22 Feb, 2017 10:30 AM
उच्च शिक्षा हासिल करने की इच्छा रखने वाली एक प्लस टू की छात्रा ने अपना घर-बाहर तक इसलिए छोड़ दिया है
अमृतसर (महेन्द्र): उच्च शिक्षा हासिल करने की इच्छा रखने वाली एक प्लस टू की छात्रा ने अपना घर-बाहर तक इसलिए छोड़ दिया है, क्योंकि उसके मां-बाप उसकी इच्छा के विरुद्ध उसकी पढ़ाई छुड़वा कर उसकी कहीं शादी करने जा रहे थे। इसने अपनी शादी के 2 दिन पहले ही अपना घर छोड़ दिया और एक महिला सशक्तिकरण से संबंधित एन.जी.ओ. की चेयरपर्सन तक पहुंचने के लिए, वह कभी किसी पुलिस थाने और कभी किसी पुलिस थाने जा पहुंची।
इसे आखिर पुलिस वालों ने ही उसे एक आटो में बैठा कर मंजिल तक पहुंचा ही दिया। स्थानीय सोसायटी फार वूमैन इम्पावरमैंट एंड ग्रीन काज नामक एक एन.जी.ओ. की तरफ से इस छात्रा को उसके मौलिक अधिकार राइट-टू-एजुकेशन के तहत बुधवार को हाईकोर्ट में आॢटकल नंबर-226 के तहत रिट-पटीशन दायर की जाएगी।
मैं अभी पढऩा चाहती हूं न कि शादी करना : छात्रा : स्थानीय सोसायटी फार वूमैन एम्पावरमैंट एंड ग्रीन काज नामक एन.जी.ओ. की चेयरपर्सन एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा की उपस्थिति में प्लस टू की छात्रा चरणजीत कौर पुत्री हरमेश सिंह ने बताया कि वह गांव कोहाला चौगावां की रहने वाली है।
गांव के समीप ही स्थित सत्य भारती स्कूल में वह प्लस टू की पढ़ाई कर रही है और मार्च को उसकी परीक्षा शुरू होने जा रही है, लेकिन उसके मां-बाप ने लोहड़ी वाले दिन उसकी इच्छा के विरुद्ध उसका रिश्ता कहीं तय कर दिया और 22 मार्र्च को उसकी शादी की तारीख निश्चित की गई है, लेकिन वह अभी शादी नहीं, बल्कि पढऩा चाहती है, लेकिन उसके मां-बाप ने उसकी इस इच्छा को नजरंदाज करते हुए उसे अजनाला में रह रही उसकी बुआ के घर भेज दिया था।
उसकी बुआ भी घर के हालात का वास्ता देकर शादी ही करने के लिए जोर दे रही थी, जिसके कारण वह अपनी बुआ के घर से भाग कर थाना अजनाला जा पहुंची थी जहां से वह किसी बी.एस.एफ. कर्मचारी से 10 रुपए लेकर बस द्वारा तरनतारन सदर पुलिस थाने जा पहुंची थी। पुलिस वालों को सारी कहानी बयान करने पर उन्होंने उसे 30 रुपए देकर आटो में बैठा कर एन.जी.ओ. की चेयरपर्सन एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा के घर गांव चब्बा भेज दिया।
हाईकोर्र्ट के अधिकार के क्षेत्र में आता है मामला : एडवोकेट चब्बा
एन.जी.ओ. की चेयरपर्सन एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा ने बताया कि हाईकोर्ट ने प्रेमी जोड़ों को प्रोटैक्शन देने के लिए जिला स्तर की सैशन कोर्ट को अधिकार दिए हैं, लेकिन फंडामैंटल राइट्स को लेकर ये सभी अधिकार हाईकोर्ट के ही अधिकार क्षेत्र में आते हैं, इस लिए संविधान में दिए गए फंडामैंटल राइट (मौलिक अधिकारों) को लेकर राइट टू एजुकेशन को देखते हुए आर्टिकल 226 के तहत बुधवार को हाईकोर्ट में रिट पटीशन दायर की जाएगी, ताकि इस लड़की को उसकी इच्छा के अनुरूप शिक्षा दिलवाई जा सके।