Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 12:19 PM
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने के बिल पास करने का पटियाला में एक सुर में स्वागत हुआ है। इतना ही नहीं जो राय सामने आई उसमें बाकी सरकारों को ऐसा कानून बनाने की आवाज उठी।
पटियाला (बलजिन्द्र): मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने के बिल पास करने का पटियाला में एक सुर में स्वागत हुआ है। इतना ही नहीं जो राय सामने आई उसमें बाकी सरकारों को ऐसा कानून बनाने की आवाज उठी।
यह है महिलाओं की राय
*मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले को फांसी की सजा के प्रावधान का मैं स्वागत करती हूं, क्योंकि पहले ही कई देशों में छोटी उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोष में सख्त सजाओं का प्रावधान है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जो 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को फांसी देने का बिल पास किया है, उससे अपराध पर अंकुश लगेगा। -अमरजीत साहीवाल, पूर्व दूरदर्शन अनाऊंसर, लेखिका और फिल्म निर्माता
*सही अर्थों में 12 साल से कम उम्र की बच्चियां कंजकें होती हैं और उनको पता ही नहीं कि उनके साथ क्या हो रहा है। क्योंकि छोटी बच्चियों के साथ रेप बारे मैडीकल में पुष्टि हो जाती है और यह साफ है कि गिरी हुई मानसिकता वाले व्यक्ति की तरफ से जानबूझ कर यह दुष्कर्म किया गया है, वह व्यक्ति कुदरत और कानून दोनों का ही अपराधी है, उसके लिए फांसी की सजा भी कम है।
-सुमन बत्रा, शिक्षा शास्त्री और लैक्चरार
*वर्तमान समय में हमारे समाज के हालातों के मुताबिक न तो हम बच्चियों को अकेले बाहर भेज सकते हैं और न ही घर छोड़ सकते हैं। लगातार छोटी बच्चियों के साथ बढ़ रही दुष्कर्म की वारदातों के पीछे सबसे बड़ा कारण बीमार मानसिकता वाले व्यक्तियों के मन में सख्त सजाओं का डर न होना है। छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा के साथ ऐसे व्यक्तियों के मन में डर पैदा होगा और निश्चित तौर पर हमारी छोटी बच्चियां सेफ रहेंगी। डर का होना लाजिमी है और मध्य प्रदेश सरकार का फैसला सराहनीय है। - डा. निधि बांसल, बांसल आई अस्पताल
*मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से लिया गया फैसला सही है। ऐसी वारदात के साथ छोटी बच्चियां तो क्या एक वयस्क महिला भी दहल जाती है। ऐसे मामलों का फैसला भी कम समय में होना चाहिए। इसके लिए स्पैशल अदालतें होनी चाहिएं, क्योंकि बच्चियों की मैडीकल रिपोर्ट सारी पुष्टि कर देती है और छोटी बच्चियां झूठ नहीं बोलतीं। - खुशबू खन्ना,बी.टैक., बी.एड. छात्रा