स्मॉग में सवारियों की जान की सलामती पहले,रूट पर जाने से पहले ली जाती है क्लास

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 09:14 AM

class is taken before going to the root

रूट पर जाने से पहले बस ड्राइवरों की क्लास ली जाती है कि वे रूट पर किस प्रकार चलें कि सवारियों की सलामती बनी रहे और खुद भी सुरक्षित रहें। इसके लिए रोडवेज व प्राइवेट कंपनियों के व्यवस्थापकों ने अपने-अपने स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

फरीदकोट(हाली): रूट पर जाने से पहले बस ड्राइवरों की क्लास ली जाती है कि वे रूट पर किस प्रकार चलें कि सवारियों की सलामती बनी रहे और खुद भी सुरक्षित रहें। इसके लिए रोडवेज व प्राइवेट कंपनियों के व्यवस्थापकों ने अपने-अपने स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

फरीदकोट ही नहीं बल्कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों व इलाकों में भी इस समय स्मॉग ने लोगों की दिनचर्या को प्रभावित कर रखा है। दिन के समय भी स्मॉग के कारण दिखाई नहीं देता। ऐसे समय में कई क्षेत्रों में तो सूर्य के दर्शन तक नहीं हो रहे परन्तु इस सबके बावजूद रोजाना सफर करने वाले और सफर करवाने वाले साधन सड़कों पर चल रहे हैं। इन साधनों में प्रमुख सरकारी और निजी कंपनी की बसें घाटे में जा रही हैं परन्तु सरकार के साथ-साथ निजी कंपनियों ने मुनाफे की बजाय सवारियों की जान सलामती के लिए ड्राइवरों को हिदायतें जारी की हुईं हैं।

जानकारी के अनुसार फरीदकोट पी.आर.टी.सी. के डिपो में 102 बसों का फ्लीट है और ये बसें रोजाना 37000 किलोमीटर का सफर तय करके लोगों को अपने-अपने ठिकानों पर पहुंचाती हैं। यह सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश तक जाती हैं परन्तु अब स्मॉग ने इनकी चाल धीमी कर दी है। हर रोज सड़कें  धीरे चलने के कारण बस अड्डों में टाइम से नहीं पहुंच रही और इनके टाइम मिस हो रहे हैं।

टाइम मिस होने और सड़कों पर धीरे चलने के कारण फरीदकोट जिले के इस अकेले बस डिपो को हर रोज 1500 से 2000 किलोमीटर तक रोजाना कम सफर तय करना पड़ रहा है, जिसके साथ डिपो की कमाई कम हो रही है परन्तु इन्होंने इस स्थिति में कोई टाइम बंद नहीं किया, इसलिए कि लोगों को कोई मुश्किल न हो।निजी बसों की बात करें तो उनकी भी यही स्थिति है परन्तु इन्होंने एहतियात के तौर पर कई रूटों के कुछ हिस्से बंद कर लिए हैं, ताकि बाकी मुसाफिरों को समय से पहुंचाया जा सके। फरीदकोट की बस कंपनी ग्रीन रोडवेज जिसकी हर रोज बसें 4800 किलोमीटर के करीब सफर तय करती थीं, के किलोमीटरों पर भी काफी ब्रेक लग रही है। इन बसों में से 250 से 300 किलोमीटर तक का सफर कम किया जा रहा है, जिस कारण यह कंपनी भी इन दिनों में लाभ नहीं कमा रही है।

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