मेयर की दौड़ से पहले ही बाहर हुई आम आदमी पार्टी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Dec, 2017 08:05 AM

aam aadmi party

विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर प्रदेश में अच्छी परफार्मैंस दिखाने वाली आम आदमी पार्टी का ग्राफ निरंतर गिरता जा रहा है। विधानसभा चुनावों के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार भी जिला स्तर पर बनी कमेटियों की सुध तक नहीं ली।

जालंधर (रविंदर शर्मा): विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर प्रदेश में अच्छी परफार्मैंस दिखाने वाली आम आदमी पार्टी का ग्राफ निरंतर गिरता जा रहा है। विधानसभा चुनावों के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार भी जिला स्तर पर बनी कमेटियों की सुध तक नहीं ली।

हालात यह बन गए कि जो टीमें विधानसभा चुनावों में गली-गली, गांवों-गांवों में बनी थीं, वह नगर निगम चुनाव आते-आते बिखर गईं। हालात तो यह बन गए कि प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी शहर में नगर निगम चुनाव के लिए 80 प्रत्याशी तक नहीं ढूंढ पाई। कई प्रत्याशियों को तो मिन्नतें डालकर चुनाव मैदान में पार्टी ने उतारा। 

आम आदमी पार्टी अब जालंधर में महज 44 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिस कारण वह पहले ही मेयर पद की दौड़ से बाहर हो चुकी है और मेयर के लिए मुख्य मुकाबला कांग्रेस व अकाली-भाजपा गठबंधन के बीच ही बचा है। वहीं पूरे वार्डों में प्रत्याशी न खड़े कर आप ने पहले ही अपनी हार को मान लिया है। जिस गंभीरता से इस पार्टी को विधानसभा चुनाव के दौरान लिया जा रहा था, वह गंभीरता भी वोटरों के भीतर खत्म हो चुकी है। यहां तक बात चुनाव प्रचार की है तो आप के सभी प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार भी बेहद फीका रहा। 

पार्टी के दूसरे बड़े नेता सुखपाल सिंह खैहरा तो सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रहे। अन्य बड़े नेताओं ने भी प्रचार से दूरी बनाए रखी। नगर निगम चुनाव में अगर आप का खाता नहीं खुला तो आने वाले समय में प्रदेश में पार्टी का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। वहीं, नगर निगम के रिजल्ट आने वाले 2019 के लोकसभा चुनावों पर भी बड़ा असर डालेंगे। जिस आम आदमी पार्टी का 2014 में पंजाब से खाता खुला था, उसी पार्टी का आने वाले समय में पंजाब में भविष्य खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है। 

बचे-खुचे नेता भी कांग्रेस में जाने की तैयारी में 
पार्टी के अधिकांश बड़े नेताओं ने राजनीति से तौबा कर ली है। शहर हो या गांव किसी भी स्तर पर पार्टी के वर्र्करों की अब कोई मीटिंग नहीं हो रही है और न ही पार्टी की मजबूती के लिए कोई रणनीति तैयार की जा रही है। कुल मिलाकर पार्टी के साथ बेहद जोश-खरोश के साथ जुड़े नेताओं ने पार्टी से अब दूरी बनानी शुरू कर दी है। पार्टी के साथ जुड़े अन्य नेता भी जल्द ही इससे छुटकारा पाना चाहते हैं। कई बचे-खुचे नेता अब आप से नाता तोड़कर कांग्रेस में अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!