Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 12:12 PM
दमकल विभाग फगवाड़ा पूरी तरह से किसी भी आपातकालीन हालात से निपटने में सक्षम है, यह दावा निगम कमिश्रर बख्तावर सिंह ने ‘पंजाब केसरी’ से वार्तालाप करते हुए किया। कमिश्रर ने कहा कि दमकल विभाग में आऊटसोर्स रखे गए कुछ कर्मचारियों जिनकी अवधि तय ठेके के तहत...
फगवाड़ा (जलोटा): दमकल विभाग फगवाड़ा पूरी तरह से किसी भी आपातकालीन हालात से निपटने में सक्षम है, यह दावा निगम कमिश्रर बख्तावर सिंह ने ‘पंजाब केसरी’ से वार्तालाप करते हुए किया। कमिश्रर ने कहा कि दमकल विभाग में आऊटसोर्स रखे गए कुछ कर्मचारियों जिनकी अवधि तय ठेके के तहत निगम में समाप्त हो चुकी है, उनके स्थान पर 9 सफाई सेवकों को 24 घंटे यानी कि राऊंड द क्लाक बतौर हैल्पर तैनात कर दिया गया है।
कमिश्रर बख्तावर सिंह ने कहा, ‘‘दमकल विभाग में मौजूद सभी 4 फायर टैंडर वाहनों हेतु स्थाई ड्राइवर व आग लगने की स्थिति में फायर टीम मौजूद है। आऊटसोर्स कर्मचारी जो पूर्व में तैनात थे, उनका काम फायर टीम को बतौर हैल्पर सेवा प्रदान करना ही था। अब यही कार्य 9 सफाई सेवक तब तक अस्थायी तौर पर करेंगे जब तक नए प्रबंध नहीं हो पाते हैं।
सस्पैंस जारी, कौन है सच्चा?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आऊटसोर्स कर्मियों को ‘आऊट’ करने का मामला काफी गर्मा गया है। मेयर अरुण खोसला द्वारा इस मुद्दे को लेकर देर रात नगर निगम फगवाड़ा के हाऊस की बैठक बुलाई गई। बैठक में जहां अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के पार्षद उपस्थित रहे वहीं कांग्रेसी पार्षदों को इस मीटिंग में नहीं बुलाया गया। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर द्वारा शुक्रवार को नगर निगम के कमिश्रर बख्तावर सिंह से मुलाकात करने का प्रोग्राम भी बनाया गया है।
आज खुलेंगे नए टैंडर : सूत्र
सूत्रों ने बताया कि बैठक दौरान मेयर अरुण खोसला ने बताया कि नए आऊटसोर्स कर्मी रखने के लिए शुक्रवार को टैंडर खोले जाएंगे। अगर नियमों अनुसार देखा जाए तो टैंडर तभी खुल सकते हैं जब हाऊस की बैठक में सभी पार्षदों की सहमति से प्रस्ताव पारित हो चुका हो। अब गौर करने की बात है कि अगर कमिश्रर का दावा सटीक है तो आऊटसोर्स को लेकर बैठक क्यों? वहीं अगर मेयर अरुण खोसला सच बोल रहे हैं तो आऊटसोर्स को लेकर रात के समय बैठक क्यों ? वो भी कांग्रेसी पार्षदों को बिना बुलाए।
मेयर अरुण खोसला के लिए मुसीबतेंऔर बढऩी तय!
जलोटा के अनुसार, फगवाड़ा नगर निगम के भाजपा मेयर अरुण खोसला का विवादों के साथ चला आ रहा नाता थमने का नाम नहीं ले रहा है। मेयर खोसला की कार्यशैली को लेकर एक विवाद ठंडा होता नहीं है कि नए सिरे से नया विवाद शुरू हो जाता है। अभी कुछ दिन पहले मेयर महोदय द्वारा एकाएक निगम कमिश्नर के कार्यालय पर किए गए कब्जे के पब्लिक में चर्चे थमे भी नहीं थे कि मेयर का नाम सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के कार्यालयों की तालाबंदी को लेकर सुर्खियां बन गया। जैसे-तैसे करके फगवाड़ा से भाजपा के विधायक सोमप्रकाश कैंथ ने उक्त दोनों विवाद शिअद (ब) के टॉप नेतृत्व के साथ उनके वर्षों से चले रहे बेहद घनिष्ठ रिश्तों के सहारे राजनीतिक स्तर पर शांत किए थे। लेकिन मेयर खोसला अब एक और नए विवाद में घिर गए हैं।
विवाद भी ऐसा जिसका कानूनी पहलू बेहद गंभीर परिणाम दे सकता है। यह नया विवाद मेयर खोसला पर अब खुले तौर पर निगम में मौजूद पार्षदों द्वारा लगाए जा रहे निगम हाऊस की बैठक में प्रोसीडिंग बदलने का है। इसे लेकर एक ओर जहां कांग्रेसी पार्षदों के साथ अन्य दलों के पार्षद सहमति जता रहे हैं वहीं भाजपा के कई पार्षद जिनमें खुद भाजपा विधायक सोमप्रकाश कैंथ के बेहद करीबी स्वीकारे जाते भाजपा पार्षद भी शामिल हैं, घटे घटनाक्रम पर अपनी सहमति जताने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
विपक्षी और भाजपा पार्षदों के मिले सुर में सुर, मामला हुआ बेहद गंभीर व पेचीदा
मिले ब्यौरे के अनुसार निगम के करीब 22 पार्षदों जिन में भाजपा पार्षद भी शामिल हैं, द्वारा तो ऑन रिकार्ड लिखित शिकायत पंजाब सरकार व लोकल बॉडी विभाग के सीनियर अधिकारियों को भेज दी गई है। प्रकरण को लेकर दिलचस्प पहलू यह है कि मेयर खोसला निरंतर विपक्षी पार्षदों द्वारा हाऊस के अंदर लगते रहे सभी आरोपों को गलत व तथ्यहीन करार देते रहे हैं। खोसला द्वारा यही दावा पत्रकारों से वार्तालाप के दौरान भी किया जा रहा है, लेकिन अब विपक्षी पार्षदों के साथ सुर में सुर मिला रहे भाजपा पार्षदों के आने से मामला बेहद गंभीर व पेचीदा हो गया है।
सूत्रों के अनुसार उक्त प्रकरण को लेकर शिकायतकर्ता पार्षदों द्वारा अब चंडीगढ़ जाकर व्यक्तिगत तौर पर सारे मामले की सच्चाई निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को बता कर मेयर के खिलाफ बनती कानूनी कार्रवाई करने की मांग की जाने की सूचनाएं मिली हैं। यदि ऐसा होता है तो नि:संदेह भाजपा मेयर अरुण खोसला के लिए आने वाला समय बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है। यदि शिकायतकत्र्ता पार्षदों के तर्क और लगाए जा रहे आरोप हकीकत में सही साबित हो जाते हैं तो फिर मेयर खोसला के लिए अपनी साख बचा पाना आसान बात नहीं होगी।