Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jan, 2018 12:43 PM
लोकतंत्र को लोगों द्वारा लोगों के लिए चुनी जाने वाली लोगों की सरकार के तौर पर जाना जाता है परन्तु आज की तारीख में हर बात में राजनीति देखना व लोगों को वोट डालते रहने का ही काम दे दिया गया है, कभी पंचायती चुनाव, कभी ब्लॉक समिति चुनाव, कभी कौंसलर...
गढ़शंकर(शोरी): लोकतंत्र को लोगों द्वारा लोगों के लिए चुनी जाने वाली लोगों की सरकार के तौर पर जाना जाता है परन्तु आज की तारीख में हर बात में राजनीति देखना व लोगों को वोट डालते रहने का ही काम दे दिया गया है, कभी पंचायती चुनाव, कभी ब्लॉक समिति चुनाव, कभी कौंसलर चुनाव, कभी विधायक तो कभी लोकसभा चुनाव। ये तो मुख्य-मुख्य चुनाव हैं, इनके साथ न जाने कौन-कौन से चुनाव हर गली-मोहल्ले में होते रहते हैं।
मानो राजनीति ने लोगों को वोटों की सोच से आगे सोचने के लिए ताले ही लगा दिए हों। ऐसा पाया गया है कि कुछ संगठन, जिनमें मात्र 15-20 सदस्य ही होते हैं, वहां भी वोटिंग करके अध्यक्ष चुना जाता है। यह सब लोगों का आपसी प्यार कम करता है, लोगों को जोड़ता नहीं बल्कि तोड़ता है।
बात यदि पंचायती चुनाव की की जाए तो ऐसा देखा गया है कि जिन गांवों में पंचायतें लोगों की आम सहमति से बनती हैं, वहां के लोगों मेें आपसी प्यार, सद्भावना ज्यादा रहती है व कोर्ट-कचहरी के केस कम ही निकलते हैं परन्तु कुछ लोगों की राजनीति इसके बिना चलती नहीं, इसलिए चुनाव होते हैं व न चाहते हुए भी लोग गुटबंदी का शिकार हो जाते हैं जो पूरे 5 वर्ष अपना रंग दिखाती रहती है।
इन गांवों में हो चुके हैं सर्वसम्मति से पंचायती चुना वअकालगढ़, अलीपुर, सदरपुर, सैलाकलां, सौली, शाहपुर, हेलर, कालेवाल, कानेवाल, कोकोवाल, गढ़ी, गोलियां, घागोगुरु, टब्बा, टिब्बियां, डांसीवाल, डा. अम्बेदकर नगर, दारापुर, पनाम, पिपलीवाल, फतेहपुर कलां, फतेहपुर खुर्द, बगवाईं, बट्ठल, मजारी, मलकोवाल, मट्टो, मौजीपुर, मैहंदबाणी गुज्जरां, महिताबपुर, मोहनोवाल, रायपुर गुज्जरां, रतनापुर, रावलपिंडी, रुड़की खास, लल्लियां व वाहिदपुर।