‘अपंग’ सरकारी सहूलियतें विशेष बच्चों की काबलियत पर भारी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 11:03 AM

government facilities for special child

विशेष जरूरतों वाले दिव्यांग बच्चों के लिए आई.ई.डी. कंपोनैंट के अंतर्गत चलाए जा रहे विशेष रिसोर्स सैंटर इन बच्चों के लिए वरदान सिद्ध हो रहे हैं। चाहे इन सैंटरों से मिल रहे प्रशिक्षण एवं सहायता के चलते कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों के बावजूद...

गुरदासपुर(हरमनप्रीत सिंह): विशेष जरूरतों वाले दिव्यांग बच्चों के लिए आई.ई.डी. कंपोनैंट के अंतर्गत चलाए जा रहे विशेष रिसोर्स सैंटर इन बच्चों के लिए वरदान सिद्ध हो रहे हैं। चाहे इन सैंटरों से मिल रहे प्रशिक्षण एवं सहायता के चलते कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों के बावजूद ये बच्चे अपनी योग्यताका लोहा मनवा रहे हैं।

 

बच्चों की शानदार काबलियत को आज जरूरत है उभारने की पर अपंग सरकारी सुविधाएं बच्चों की काबलियत पर भारी पड़ रही है। सहूलियत की कमी के कारण बच्चों की विवशता और दयनीय हालत न सिर्फ खुद उनके लिए अभिशाप है, बल्कि इन बच्चों के माता-पिता भी भारी संताप भोग रहे हैं। 

 

चाहे सरकार की तरफ से इन बच्चों की सुविधा के लिए कई उपाय किए गए हैं परन्तु इस के बावजूद यह प्रोजैक्ट कई कमियोंसे जूझ रहा है। सैंटरों की संख्या कम होने से कई बच्चे दूर वाले सैंटरों में जाने में असमर्थ हैं। इस के साथ ही खाली पद भी इस प्रोजैक्ट की कारगुजारी को प्रभावित कर रही हैं। और तो और इस प्रोजैक्ट अधीन काम कर रहा स्टाफ सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ठेके पर तैनात है जिसे कम वेतन मिल रहा है। कई बच्चों के अभिभावकों ने मांग की कि सरकार इन बच्चों के लिए होस्टल का प्रबंध भी जरूर करे। 

 

गुरदासपुर में लगभग 4000 हैं विशेष जरूरतों वाले बच्चे
एकत्रित विवरण अनुसार जिला गुरदासपुर में विशेष जरूरतों वाले दिव्यांग बच्चों की संख्या 4 हजार के करीब है जिन के लिए अलग-अलग प्राथमिक स्कूलों में विशेष केंद्र बनाने के अलावा गुरदासपुर शहर में सरकारी प्राथमिक स्कूल लित्तर में विशेष रिसोर्स केंद्र बनाया गया है। इस के साथ ही कुछ समय पहले बटाला की धर्मपुरा कालोनी में सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में भी ऐसे बच्चों के लिए विशेष स्मार्ट रूम बनाया गया है।

 

इन बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से जिला स्तर पर स्पैशल एजुकेटर नियुक्त करने के अलावा गुरदासपुर के प्राथमिक स्कूलों में 120 वालंटियर और ब्लाक स्तर पर आई.ई.आर.टी. नियुक्त किए हैं। परन्तु जिला गुरदासपुर में आई.ई.आर.टी. की मंजूरशुदा कुल 33 असामियों में से सिर्फ 11 भरी हुई हैं जबकि बाकी खाली हैं। इसी तरह इन बच्चों की सेहत संभाल और उन को ठीक करने के लिए एक फिजियोथैरेपिस्ट का पद भी खाली है जिस का काम चलाने के लिए होशियारपुर जिले से संबंधित एक डाक्टर को 2 दिन के लिए नियुक्त किया गया है। 

 

काबलियत से लबालब हैं बच्चे
शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार भी इन सैंटरों का स्तर ऊंचा उठाने में काफी रूचि दिखा रहे हैं। जिला गुरदासपुर में डिप्टी कमिश्नर गुरलवलीन सिंह और जिला शिक्षा अधिकारी (ए) सलविन्दर सिंह समरा इन बच्चों की भलाई और विकास के लिए निजी रूप से काम कर रहा है। इस के अंतर्गत सरकारी साधनों के साथ-साथ कई और दानी सज्जनों के सहयोग से गुरदासपुर शहर में चल रहे विशेष केंद्र में बढिय़ा फर्नीचर, वाटर कूलर, इन्वर्टर, बच्चों के खेलने का सामान, पुस्तकालय, संगीत सिखाने के लिए जरूरी सामान समेत बहुत सी सुविधाओं का प्रबंध किया गया है। यहां तक हारमोनियम का प्रबंध कर बच्चों को संगीत का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

 

इस प्रोजैक्ट के जिला को-आर्डिनेटर अमरीक सिंह और उन की टीम की सख्त मेहनत के चलते इस सैंटर के बच्चों ने उड़ीसा के भुवनेश्वर में 2 साल पहले हुए अंजलि फैस्टीवल दौरान लूडो के मुकाबलों में पूरे देश में से पहला स्थान हासिल किया था। इस साल चंडीगढ़ में हुई नैशनल चैंपियनशिप में इस सैंटर के बच्चों ने क्रिकेट और बास्केटबाल में 5 गोल्ड मैडल जीते हैं। हरेक साल 26 जनवरी और 15 अगस्त के जिला स्तरीय समागमों दौरान भी ये बच्चे प्रभावशाली प्रस्तुति देते हैं। अंत में यही कहा जा सकता है कि बच्चे काबलियत से लबालब हैं। 

 

आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
इस सैंटर का दौरा करने पर देखने में आया कि सैंटर में इन बच्चों को मोमबत्तियां बनाने, पैन बनाने, शगुन वाले लिफाफे और कार्ड तैयार करने जैसे कई कामों का प्रशिक्षण देने का प्रबंध भी किया गया है। इतना ही नहीं, इन बच्चों की तरफ से तैयार किया जाने वाला सामान हर साल दीवाली जैसे त्यौहारों पर स्टाल लगा कर बाकायदा बेचा जाता है। 


माता-पिता बच्चों को स्कूल जरूर भेजें  
इस प्रोजैक्ट के जिला को-आर्डिनेटर अमरीक सिंह ने कहा कि इन बच्चों को संभाल और पढ़ा रहे स्टाफ और वालंटीयर बहुत बड़ी सेवा निभा रहे हैं। उन्होंने विशेष जरूरत वाले बच्चों के मां-बाप से अपील की कि वे अपने बच्चों को इन केन्द्रों में जरूर भेजें ताकि ये बच्चे भी अन्य बच्चों की तरह काबिल बन सकें। 

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