Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jan, 2018 11:26 AM
सभी रैस्टोरैंट्स, होटलों, ढाबों व रेहडिय़ों वाले जो नॉन-वैज खाना बनाकर परोसते हैं, उनको यह लिखना अब जरूरी है कि वे जो नॉन-वैज परोस रहे हैं व हलाल है या झटका। जानकारी के अनुसार कई लोगों द्वारा इस बाबत मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर भारत सरकार को लिखा था...
फिरोजपुर(चावला): सभी रैस्टोरैंट्स, होटलों, ढाबों व रेहडिय़ों वाले जो नॉन-वैज खाना बनाकर परोसते हैं, उनको यह लिखना अब जरूरी है कि वे जो नॉन-वैज परोस रहे हैं व हलाल है या झटका। जानकारी के अनुसार कई लोगों द्वारा इस बाबत मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर भारत सरकार को लिखा था कि उपभोक्ता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि उसे पता चले उसे परोसा जाने वाला नॉन-वैज हलाल है या झटका।
आम प्राय: होटलों, फूडचेन, रैस्टोरैंट्स में कहीं नहीं लिखा जाता कि ग्राहक को परोसे जाने वाला नॉन-वैज हलाल है या झटका है क्योंकि परोसे जाने वाला नॉन-वैज लोगों की धार्मिक भावनाओं से भी संबंधित है, क्योंकि मुस्लिमों के लिए सिर्फ हलाल नॉन-वैज खाना ही जरूरी है व अन्य कई धर्मों में सिर्फ झटका नॉन-वैज खाना ही सही समझते हैं। ऐसे में सभी होटलों, रैस्टोरैंट, ढाबों व फूड चेन्स में बोर्ड लगा होना चाहिए। इसमें हलाल व झटका मीट अंकित होना चाहिए ताकि किसी की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। इस बाबत स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी रैस्टोरैंट, ढाबों, रेहडिय़ों के मालिकों को निर्देश भी दिए हैं कि जो भी वे नॉन-वैज कंज्यूमर को परोसते हैं उनके लिए झटका या हलाल लिखना जरूरी है।