Edited By Updated: 08 Jan, 2016 11:53 PM
गत 11 दिसम्बर को पूर्व शराब व्यवसायी व अकाली नेता शिवलाल डोडा के रामसरा गांव स्थित किलानुमा फार्म...
अबोहर(भारद्वाज): गत 11 दिसम्बर को पूर्व शराब व्यवसायी व अकाली नेता शिवलाल डोडा के रामसरा गांव स्थित किलानुमा फार्म हाऊस में दलित युवक भीम टांक की हत्या व उसके साथी गुरजंट सिंह उर्फ जंटा लाहौरिया पर कातिलाना हमले से पीड़ित परिवारों से संवेदना व्यक्त करने के लिए न तो मुख्यमंत्री और न ही उपमुख्यमंत्री अबोहर आए।
हालांकि गत सप्ताह उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने विश्वास दिलाया था कि मुख्यमंत्री शीघ्र संतनगर पहुंचेंगे। सुखबीर बादल ने तीन दिन में शेष बचे आरोपियों की गिरफ्तारी और अन्य मांगों पर भी सकारात्मक विचार का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक उनकी तरफ से किसी कार्रवाई का संकेत नहीं मिला।
इस संबंधी भीम टांक के पिता कपूर चंद, माता कौशल्या देवी, जंटा के भाई रंजीत सिंह राणा ने आज धरना स्थल के पास पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा शिवलाल डोडा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बावजूद उसे गिरफ्तार करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए जिससे पीड़ित परिवारों में रोष पाया जा रहा है। शराब व्यवसायी का कारोबार सामान्य रूप से चल रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि उसके कर्मचारी व रिश्तेदार शिवलाल से निरन्तर संपर्क बनाए हुए हैं लेकिन पुलिस ने उसका अता-पता लगाने की दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाया।
रंजीत सिंह राणा ने कहा कि उसका भाई गुरजंट सिंह अमृतसर के निजी अस्पताल में विकलांगता का दंश झेल रहा है। उसके इलाज पर अब तक 15-16 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। यह राशि रिश्तेदारों व शुभङ्क्षचतकों से उधार लेकर जुटाई गई है। जब आॢबट बस कांड हुआ तो सरकार के सारे मंत्री व संतरी मोगा पहुंच गए। आॢथक सहायता के अलावा पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी भी दे डाली लेकिन आजाद भारत के इतिहास में सबसे घिनौने रामसरा फार्म हाऊस कांड के पीड़ित परिवार को इलाज के लिए फूटी कौड़ी भी उपलब्ध नहीं करवाई गई।
उन्होंने बताया कि उपमुख्यमंत्री के बाद वह केन्द्रीय राज्य मंत्री हरसिमरत कौर बादल से भी श्रीगंगानगर जाकर मिले थे। उन्होंने भी पीड़ित परिवारों की समूची सहायता करने के साथ-साथ मुख्यमंत्री के अबोहर दौरे को यकीनी बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन उस आश्वासन पर भी कोई अमल होता नहीं दिखाई देता।
इस कांड को लेकर बनाई गई 21 सदस्यीय समिति के साथ-साथ पीड़ित परिवारों के सब्र का बांध भी अब टूटने वाला है। बेहतर होगा कि सरकार मुख्य आरोपी शिवलाल की गिरफ्तारी तुरंत करे और पीड़ित परिवारों को सहायता तथा सरकारी नौकरी देकर सांत्वना प्रदान की जाए अन्यथा संघर्ष को तेज करने के सिवाए कोई चारा नहीं रहेगा।