Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Feb, 2018 07:51 AM
सी.आई.ए.-2 ने जाली दस्तावेजों के आधार पर जेलों में बंद अपराधियों की जमानत करवाने वाले गिरोह के 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह अब तक सैंकड़ों लोगों की जमानत करवा चुका है। पुलिस ने इनसे फर्जी दास्तावेजों में आधार कार्ड, जाली रजिस्ट्ररियां,...
बठिंडा (विजय) : सी.आई.ए.-2 ने जाली दस्तावेजों के आधार पर जेलों में बंद अपराधियों की जमानत करवाने वाले गिरोह के 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह अब तक सैंकड़ों लोगों की जमानत करवा चुका है। पुलिस ने इनसे फर्जी दास्तावेजों में आधार कार्ड, जाली रजिस्ट्ररियां, जाली पहचान पत्र, जाली मोहरें आदि बरामद की हैं।
गिरोह ने संगीन अपराधियों की करवाई है जमानत
सूचना के आधार पर सी.आई.-2 ने जिला कचहरी में नाकाबंदी दौरान आरोपियों को रंगे हाथों जमानत करवाते हुए गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके कब्जे से 2 फर्जी रजिस्ट्रियां और 5 आई कार्ड व आधार कार्ड, मोहरें बरामद कीं। यह गिरोह पहले भी इसी धंधे में शामिल था लेकिन कोतवाली पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया और जेल भेजा। छूटने के बाद यह फिर पुराने धंधे में लग गए। इस गिरोह ने कई संगीन अपराधों में शमिल अपराधियों की जमानत तक करवाई। बेशक ये बाद में पकड़े गए परन्तु सुरक्षा के लिए इस गिरोह को बड़ा खतरा माना जा रहा है।
कोड वर्ड में रखे थे गैंग सदस्यों के नाम: थाना प्रभारी
थाना प्रभारी गुरिंद्र सिंह ने बताया कि इस गिरोह के लगभग 2 दर्जन के करीब सदस्य हैं जो जाली दस्तावेज के आधार पर लोगों की जमानतें करवाते हैं। इस गिरोह ने कोड वर्ड का सहारा लेते हुए गिरोह के सदस्यों के नाम रखे हुए थे। जमानत को लेकर पहले मोलभाव किया जाता था बाद में पार्षद, पंच, सरपंच आदि के नाम पर मोटी रकम एंठी जाती थी। जमानत के लिए कम से कम 4 लोगों की जरूरत पड़ती है लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ गिरोह के 3 आरोपी ही लगे हैं जिनके विरुद्ध थाना सिविल लाइन में मामला दर्ज किया गया है।
वीरवार को इन्हें न्यायालय में पेश कर रिमांड लिया गया। आरोपियों की पहचान पवन कुमार वासी परसराम नगर, ऊधम सिंह वासी हंस नगर, मान सिंह मन्ना निवासी प्रताप नगर के रूप में हुई। पुलिस को सूचना मिली थी कि कचहरी में एक ऐसा गिरोह सरगर्म है जो मोटी रकम बनाने के चक्कर में जाली दस्तावेज के सहारे जेल में बंद आरोपियों की जमानत करवाता है जिसके बदले में हजारों रुपए बटोरे जाते हैं। जेल में बंद आरोपियों से लाखों रुपए का सौदा होता था।