Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 12:28 PM
अमृतसर जिले में फूड सप्लाई विभाग के कुछ कर्मचारियों की तरफ से करोड़ों रुपए का गेहूं डकारने के मामले तो आए दिन सामने आते ही रहते हैं, वहीं पड़ोसी जिले तरनतारन के 2 गोदामों में भी 5 हजार बोरी गेहूं गायब होने का मामला सामने आया है। हजारों बोरी गेहूं...
अमृतसर (नीरज): अमृतसर जिले में फूड सप्लाई विभाग के कुछ कर्मचारियों की तरफ से करोड़ों रुपए का गेहूं डकारने के मामले तो आए दिन सामने आते ही रहते हैं, वहीं पड़ोसी जिले तरनतारन के 2 गोदामों में भी 5 हजार बोरी गेहूं गायब होने का मामला सामने आया है। हजारों बोरी गेहूं गायब होने का मामला और पिछले एक सप्ताह से चल रहे घटनाक्रम में सबसे खास बात तो यह सामने आ रही है कि अभी तक न तो एफ.सी.आई., न पनग्रेन और न ही गेहूं की देख-रेख करने वाली एजैंसी रीगो की तरफ से पुलिस में कोई एफ.आई.आर. करवाई गई है, न ही अभी तक 5 हजार बोरी गेहूं की रिकवरी हुई है।
जानकारी के अनुसार तरनतारन में राजन बेदी व बलबीर सिंह ढिल्लों के गोदामों से 5 हजार बोरी गेहूं खुर्द-बुर्द हुई है और एफ.सी.आई. व पनग्रेन के अधिकारी उक्त लापरवाही के लिए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। एफ.सी.आई. के एरिया मैनेजर बाऊ लाल मीना का कहना है कि गोदामों में पड़ी गेहूं की देख-रेख रीगो नाम की प्राइवेट एजैंसी करती है, जबकि गोदाम का कस्टोडियन पनग्रेन एजैंसी है, यदि गोदाम से गेहूं गायब हुआ है तो इसके लिए पनग्रेन जिम्मेदार है, जबकि दूसरी तरफ पनग्रेन के इंस्पैक्टर विशाल सिंह का कहना है कि इसके लिए एफ.सी.आई. जिम्मेदार है, क्योंकि गोदामों में पड़ी गेहूं एफ.सी.आई. की है।
फिलहाल दोनों एजैंसियों के अधिकारियों के आरोप-प्रत्यारोपों में यह पता नहीं चल रहा है कि आखिरकार गरीबों का गेहूं कौन डकार गया है? इतनी बड़ी घपलेबाजी सामने आने के बाद भी पुलिस को शिकायत क्यों नहीं की गई है और एफ.आई.आर. क्यों नहीं करवाई गई है। ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनकी जांच होने की सख्त जरूरत है, क्योंकि सरकारी गोदामों में स्टोर किया गया ज्यादातर गेहूं दो रुपए किलो गेहूं बांटने जैसी सरकारी योजनाओं पर ही वितरित किया जाता है और गरीबों में बांटा जाता है।
क्या है गेहूं स्टोर करने का पिग सिस्टम
खुले आसमान के नीचे तिरपालों की छाया में स्टोर किए जाने के कारण हर वर्ष करोड़ों रुपए का गेहूं खराब हो जाता है, जिसे रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने कुछ वर्ष पहले पिग सिस्टम को शुरू किया गया पिग यानि प्राइवेट एंटरप्रैन्योर गारंटी। इस स्कीम के तहत प्राइवेट कंपनी का गोदाम लिया जाता है, जिसके लिए बकायदा टैंडर निकाले जाते हैं। प्राइवेट कंपनी के गोदाम में 10 वर्ष तक गेहूं स्टोर करने की गारंटी दी जाती है। एफ.सी.आई. की तरफ से इन गोदामों में गेहूं रखवाया जाता है और जरूरत पडऩे पर किसी अन्य राज्य में गेहूं भेजने के लिए इन गोदामों से गेहूं की स्पैशल करवाई जाती है।
इस सुरक्षा करने की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी रीगो को दी जाती है, जबकि पनग्रेन को इसका कस्टोडियन बनाया जाता है, हालांकि पनग्रेन एजैंसी की तरफ से आटा-दाल योजना में गेहूं बांटने के लिए कुछ अस्थायी गोदाम भी किराए पर लिए जाते हैं, जिसमें खुले आसमान के नीचे गेहूं को स्टोर किया जाता है, जिसमें अभी तक करोड़ों रुपए का नुक्सान हो चुका है, क्योंकि खुले आसमान के नीचे स्टोर किए गए गेहूं के खराब होने की संभावना काफी ज्यादा रहती है, जबकि पिग सिस्टम के तहत शैड के नीचे गेहूं स्टोर किया जाता है।
पनग्रेन के अड्डा बाऊली के गोदामों में सड़ रहा है हजारों क्विंटल गेहूं
खरीद एजैंसी पनग्रेन की बात करें तो इस एजैंसी का रिकार्ड गेहूं की स्टोरेज में ब्लैक लिस्टेड माना जा सकता है। अमृतसर जिले में अभी भी रामतीर्थ रोड स्थित अड्डा बाउली के गोदामों में करोड़ों रुपयों का गेहूं सड़ रहा है, जो इस समय खाने के लायक भी नहीं रहा है। इसके लिए विभाग ने कई अधिकारियों व कर्मचारियों को चार्जशीट भी किया है, लेकिन यह पनग्रेन के अधिकारियों की लापरवाही का जिन्दा मिसाल है। एक तरफ देश में गरीब लोग आज भी भूख के कारण मर रहे हैं और कुपोषण का शिकार बन रहे हैं तो दूसरी तरफ हर वर्ष हमारी खरीद एजैंसियों की लापरवाही के कारण करोड़ों का अनाज खराब हो जाता हैै। यही नहीं छेहर्टा इलाके में भी वर्षों पहले भारी मात्रा में गेहूं खराब हो गया था।