Edited By Mohit,Updated: 05 Oct, 2018 10:41 PM
जहां एक तरफ राजनीतिक पटल पर पंजाब की दो चिर विरोधी पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ 7 अक्तूबर को रैलियों का ऐलान किया है वहीं अब अध्यापकों ने भी सरकार के साथ आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। जिसके चलते अब कांग्रेसी खेमा घिरता हुआ नजर आ रहा है।
लुधियाना (विक्की): जहां एक तरफ राजनीतिक पटल पर पंजाब की दो चिर विरोधी पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ 7 अक्तूबर को रैलियों का ऐलान किया है वहीं अब अध्यापकों ने भी सरकार के साथ आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। जिसके चलते अब कांग्रेसी खेमा घिरता हुआ नजर आ रहा है।
जहां एक तरफ दोनों सियासी पार्टियों ने अपनी रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है वही एसएसए / रमसा अध्यापकों के साथ कुछ अन्य वर्गों के अध्यापकों को मात्र 15 हजार रुपए के वेतन पर 3 साल तक काम करने की शर्त पर रेगुलर करने का ऐलान अब राज्य की कांग्रेस सरकार के लिए गले की फांस बनता नजर आ रहा है। सरकार के ऐलान से खफा एसएसए/ रमसा और मॉडल स्कूल के अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ 7 अक्तूबर से पटियाला में आमरण अनशन शुरू करने का ऐलान कर दिया है वहीं पंजाब की विभिन्न अध्यापक जत्थेबंदियों के सांझा मोर्चा ने भी 7 अक्तूबर से पटियाला में पक्का धरना लगाने का ऐलान कर दिया है।
जिसके चलते 7 अक्तूबर को शिरोमणि अकाली दल के साथ साथ पटियाला में अध्यापकों का विशाल प्रदर्शन देखने को मिल सकता है। जो एक सुर में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। इसके चलते जहां शिरोमणि अकाली दल ने राहत की सांस ली है वहीं कांग्रेस खेमे में बेचैनी अब से ही साफ नजर आ रही है। वहीं पंजाब की बड़ी अध्यापक जत्थेबंदियों के 7 अक्तूबर को संघर्ष के ऐलान एवं शिरोमणि अकाली दल की जबर विरोधी पोल खोल रैली को देखते हुए पटियाला प्रशासन के हाथ पैर फूलते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अकाली नेताओं ने अध्यापकों की मांगों का समर्थन करना भी शुरू कर दिया है।