Edited By Subhash Kapoor,Updated: 13 Jun, 2025 12:04 AM

गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुए दिल दहला देने वाले विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भर रहे एअर इंडिया के विमान के क्रैश होने की खबर ने देश में शोक की लहर दौड़ा दी...
पंजाब डैस्क : गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुए दिल दहला देने वाले विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भर रहे एअर इंडिया के विमान के क्रैश होने की खबर ने देश में शोक की लहर दौड़ा दी है। विमान में कुल 242 यात्री और क्रू मेंबर सवार थे। इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की भी दुखद मौत हो गई है, जिससे भारतीय राजनीति को एक गहरा आघात लगा है। विजय रूपाणी को इन दिनों हाईकमान की तरफ से पंजाब की कमान सौंपी गई थी और भाजपा का प्रभारी बनाया गया था।
विजय रुपाणी का राजनीतिक सफर
विजय रूपाणी का जन्म म्यामांर में हुआ था। उनका राजनीतिक सफर महज एक पद या जिम्मेदारी की यात्रा नहीं थी, बल्कि यह विचारधारा, निष्ठा और संगठन के प्रति समर्पण का प्रतीक था। म्यांमार में 2 अगस्त 1956 को जन्मे रूपाणी का परिवार 1960 में भारत लौट आया और उन्होंने अपना बचपन गुजरात के राजकोट में बिताया। रूपाणी ने छात्र जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर राजनीति में कदम रखा। वे उन चुनिंदा नेताओं में रहे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन एक ही विचारधारा और पार्टी के साथ बिताया। जनसंघ से होते हुए भारतीय जनता पार्टी की नींव में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।
2014 में पहली बार वह राजकोट वेस्ट से विधायक निर्वाचित हुए। आनंदीबेन पटेल के मंत्रिमंडल में मंत्री बने, उन्हें परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार जैसे अहम मंत्रालय मिले। 2016 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने और फिर उसी वर्ष अगस्त में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2016 से 2021 तक उन्होंने राज्य की कमान संभाली और विकास के कई नए मापदंड तय किए।
विजय रुपाणी ने 16 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ज्वाइन कर लिया और उसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे। विजय रुपाणी की गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती थी और वह पीएम मोदी और अमित शाह दोनों के करीबी माने जाते थे।
अतः विजय रूपाणी की मौत सिर्फ एक नेता की मौत नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति से एक स्थिर, शांत और विचारधारा-निष्ठ नेतृत्व के युग का अंत है। उनकी सादगी, कार्यशैली और संगठन के प्रति समर्पण आने वाले नेताओं के लिए मिसाल रहेगा।