Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jun, 2017 02:05 PM
क्रैम्बिज इंटरनैशनल स्कूल फॉर गर्ल्स में करवाई जा रही 31वीं अंडर-13 नैशनल चैस चैम्पियनशिप (लड़के और लड़कियां) में अलग-अलग राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले ज्यादातर बच्चों ने अपने मां-बाप या अपने भाई-बहनों को देखकर चैस खेलना सीखा था, लेकिन घर से...
जालंधर(भारती): क्रैम्बिज इंटरनैशनल स्कूल फॉर गर्ल्स में करवाई जा रही 31वीं अंडर-13 नैशनल चैस चैम्पियनशिप (लड़के और लड़कियां) में अलग-अलग राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले ज्यादातर बच्चों ने अपने मां-बाप या अपने भाई-बहनों को देखकर चैस खेलना सीखा था, लेकिन घर से शुरू हुआ बच्चों का यह खेल नैशनल तक का सफर तय कर भविष्य के ग्रैंड मास्टर बनने तक पहुंच चुका है।
8वीं क्लास में पढऩे वाली अन्नया जो मुम्बई से इस चैम्पियनशिप में भाग लेने आई है, ने बताया कि मेरे पापा चैस खेलते थे तो मैंने भी मजे के लिए चैस खेलना शुरू कर दिया, लेकिन बाद में मुझे गेम अच्छी लगने लगी तो मैंने अच्छी तरह से सीखना शुरू किया और चैस की कोचिंग लेनी स्टार्ट की। 4 सालों से चैस खेल रही अन्नया अब तक कॉमनवैल्थ चैस चैम्पियनशिप अंडर-10 में गोल्ड मैडल जीत चुकी है। इसके अलावा वह कई अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर चुकी है।
अन्नया ,मुम्बई
महाराष्ट्र की रहने वाली मृदुल, जो स्टेट और नैशनल प्रतियोगिताओं के अलावा वल्र्ड इंटरनैशनल चैस प्रतियोगिता में भी सिल्वर मैडल हासिल कर चुकी है, ने कहा कि मैं योगा क्लास के लिए जाती थी तो साथ में ही चैस क्लास लगती थी। मैंने भी वहां जाना शुरूकर दिया। धीरे-धीरे ज्यादा रुचि हुई तो योगा क्लास छोड़कर सारा ध्यान चैस पर देना शुरू कर दिया।
मृदुल,महाराष्ट्र