श्री हरिमंदिर साहिब में खुफिया एजैंसियां व पुलिस प्रशासन सतर्क, संगत की आमद घटी

Edited By Vatika,Updated: 06 Jul, 2020 12:27 PM

intelligence agencies and police administration alert in shri harimandir sahib

बरसाती व ठंडे सुहावने मौसम में भी दहशत को लेकर श्री हरिमंदिर साहिब में संगत की आमद आम की अपेक्षा कहीं कम देखी गई।

अमृतसर(अनजान): बरसाती व ठंडे सुहावने मौसम में भी दहशत को लेकर श्री हरिमंदिर साहिब में संगत की आमद आम की अपेक्षा कहीं कम देखी गई। इसका दूसरा कारण रविवार का कर्फ्यू लगना भी है, जिस कारण गांवों से संगत दर्शन करने नहीं आ सकीं।बता दें कि पिछले 2 दिनों से जब की गुरपतवंत सिंह पन्नू ने जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब को सिख्स फॉर जस्टिस के नुमाइंदों द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब में अरदास करने और प्रोत्साहन लेने के लिए पत्रिका लिखी है, तब से लेकर श्री हरिमंदिर साहिब अंदर संगत की संख्या कम हो रही है और पुलिस प्रशासन व खूफियां एजैंसियां चौकन्नी हो गई हैं। आज भी चाहे कम संख्या में थे परन्तु श्री हरिमंदिर साहिब अंदर, परिक्रमा में और उसके आस-पास सिवलीयन पुलिस कर्मचारी, वर्दी धारी और खूफियां एजैंसियों के कर्मचारी तैनात रहे। श्री हरिमंदिर साहिब की मर्यादा तीन पहरों की संगत और सेवकों ने सारा दिन बहाल रखी। अमृत समय से ही जहां संगत ने श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शन दीदार किए उसके साथ ही परिक्रमा के स्नान की सेवा, छबील और जोड़े घर की सेवा के अलावा गुरुकर लंगर में सेवा में जुटी रही।

गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हाल में हुई कथा
श्री हरिमंदिर साहिब में ग्रंथी सिंह द्वारा लिए गए मुख्य वाक्य की कथा गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हाल में हुई। आज की कथा सिंह साहिब ज्ञानी जसबीर सिंह ने की। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अंग 702 पर शोभायमान जैतसरी मोहल्ला पांचवां की बाणी के शब्द की कथा करते कथा वाचक ने संगत के साथ गुर विचार सांझे करते कहा कि हे प्रभु हम जीव कई जन्मों में भौं कर अब तेरी शरणे आए हैं। हमारे शरीर को (माया के मोह के) घने अंधेरे से बचा ले और अपने चरणों में जोड़े रख। उन्होंने संगत को गुरबाणी के इस पवित्र शब्द द्वारा अकाल पुरुख वाहेगुरु के चरना में जुडऩे के लिए प्रेरित किया।

गुरुद्वारा थड़ा साहिब में संगत ने की सरबत के भले की अरदास
कोरोना महामारी से निजात दिलाने के लिए संगत ने गुरुद्वारा श्री थड़ा साहिब में इलाही बणी के कीर्तन उपरांत सरबत के भले की अरदास की और कड़ाह प्रशादि की देग बरताई। ग्रंथी सिंह द्वारा समूह नानक नाम लेवा संगत को गुरु आशा के साथ जुडऩे के लिए प्रेरित अपने बच्चों को अमृत धारी होने पर रहित बहत में परिपक्व रहने के लिए उपदेश दिया।

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